प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मिजोरम नहीं जा रहे हैं। पहले उनका मिजोरम में चुनाव प्रचार करने का कार्यक्रम था। लेकिन बाद में वह टल गया। फिर कहा गया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मिजोरम में प्रचार करने जाएंगे। इसके लिए 30 अक्टूबर की तारीख बताई जा रही है। हालांकि मिजोरम से आ रही खबरों के मुताबिक रविवार तक गृह मंत्री के कार्यक्रम की सूचना वहां नहीं पहुंची थी। गौरतलब है कि रविवार को गृह मंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ में चुनाव प्रचार में व्यस्त थे। वे तीन दिन के दौरे पर छत्तीसगढ़ पहुंचे थे। तभी सवाल है कि क्या भाजपा की ओर से कोई बड़ा नेता मिजोरम में चुनाव प्रचार करेगा या पार्टी ने वहां कोई संभावना नहीं देख कर चुनाव प्रचार से अपने को पीछे कर लिया है?
ध्यान रहे मिजोरम में विधानसभा की 40 सीटें हैं और पिछले कई दशक से बारी बारी से कांग्रेस और मिजो नेशनल फ्रंट की सरकार बनती रही है। ललथनहवला और जोरामथंगा बारी बारी से मुख्यमंत्री बनते रहे हैं। पिछले चुनाव में भाजपा को विधानसभा की एक सीट मिली थी। पूर्वोत्तर के ज्यादातर राज्यों में भाजपा ने अपना आधार बना लिया है लेकिन आदिवासी और ईसाई बहुमत मिजोरम, नगालैंड व मेघालय में उसका आधार बहुत मजबूत नहीं हो रहा है। इस बीच मणिपुर में पिछले छह महीने से जातीय हिंसा चल रही है, जिसकी आंच पड़ोसी राज्य मिजोरम तक पहुंची है। मणिपुर से भाग कर काफी लोगों ने मिजोरम में शरण ली। वहां भी कुकी-जोमी यानी आदिवासी समाज के समर्थन में बड़ी रैली निकाली गई।
राज्य में सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट एनडीए का हिस्सा है। लेकिन अब पार्टी ने अपने को गठबंधन से अलग किया है। इस बीच मिजोरम के मुख्यमंत्री ने ऐलान कर दिया कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा नहीं करेंगे। यह भी कहा जा रहा है कि छह महीने की जातीय हिंसा के बीच प्रधानमंत्री सिर्फ एक या दो बार मणिपुर पर बोले हैं और वहां गए नहीं हैं। तभी अगर मिजोरम में चुनाव प्रचार करने जाते हैं तो यह सवाल उठेगा कि वे मणिपुर नहीं गए और प्रचार करने मिजोरम चले गए। इसलिए उनका कार्यक्रम टलने की खबर है। ध्यान रहे अमित शाह मणिपुर गए थे। संभवतः इसलिए उनके मिजोरम जाने का कार्यक्रम बना।