मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों का इंतजार लंबा हो रहा है। भाजपा ने 79 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है, जिनमें इन दोनों का नाम नहीं है। हालांकि पार्टी ने जिन सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए हैं लगभग वो सारी सीटें पिछली बार हारी हुई हैं। एकाध जीती हुई सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा हुई है तो वह इसलिए क्योंकि पार्टी ने वहां उम्मीदवार बदला है। इसलिए मुख्यमंत्री की बुधनी सीट की घोषणा नहीं हुई है और न ज्योतिरादित्य सिंधिया की पसंद की सीट पर उम्मीदवार घोषित हुआ है। जानकार सूत्रों के मुताबिक सिंधिया अपनी बुआ यशोधरा राजे की पारंपरिक सीट शिवपुरी से चुनाव लड़ सकते हैं। बताया जा रहा है कि यशोधरा राजे ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। हो सकता है कि वे लोकसभा का चुनाव लड़ें।
बहरहाल, राज्य में जो हालात हैं उसे देख कर कांग्रेस नेता उत्साह में हैं। उनको लग रहा है कि भाजपा आलाकमान ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को किनारे कर दिया है। अपने पिछले दौरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके बारे में कुछ नहीं कहा। यहां तक कि उनकी बहुत चर्चित योजनाओं के बारे में भी नहीं बताया। उन्होंने केंद्र सरकार की उपलब्धियों की चर्चा की और कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि अगर वह सत्ता में आई तो फिर से मध्य प्रदेश के बीमारू प्रदेश बना देगी। सनातन पर हमले का मुद्दा भी उन्होंने उठाया। ऊपर से भाजपा ने तीन केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव में उतारा है, जिनमें से दो मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं। एक राष्ट्रीय महामंत्री को भी पार्टी ने चुनाव में उतार दिया है। इससे यह मैसेज बना है कि अगर भाजपा जीत भी जाती है तो शिवराज मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। पार्टी सामूहिक नेतृत्व में लड़ रही है और शिवराज की पसंद के उम्मीदवार भी नहीं उतार रही है। सो, अगर यह मैसेज बनता है तो भितरघात की संभावना बढ़ जाएगी, जिसका नुकसान भाजपा को होगा।