मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गजब हिम्मत दिखा रहे हैं। पार्टी आलाकमान ने उनको मुख्यमंत्री पद का दावेदार नहीं बनाया है लेकिन उन्होंने खुद को सीएम दावेदार के तौर पर चुनाव में पेश कर दिया है। उन्होंने मध्य प्रदेश में यह माहौल बनाना शुरू कर दिया है कि केंद्र में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनेंगे और राज्य में शिवराज राज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बनेंगे। तभी वे अपनी सभाओं में यह सवाल पूछ रहे हैं कि शिवराज को सीएम बनना चाहिए या नहीं? जनता जोर से जवाब देती है कि बनना चाहिए। इसी तरह से वे पूछते हैं कि नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनना चाहिए या नहीं? तब भी बनता का जवाब हां होता है। इस तरह शिवराज ने बड़ी हिम्मत दिखाई है और पार्टी आलाकमान को यह मैसेज दिया है कि अगर नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनना है तो शिवराज सिंह चौहान को मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री बनाना होगा। विपक्षी पार्टियों ने ओबीसी का जो नैरेटिव बनाया है, जातीय गणन और आरक्षण का जो मुद्दा छेड़ा है वह भी शिवराज के पक्ष में गया है क्योंकि वे ओबीसी नेता हैं, जबकि कांग्रेस ने कमलनाथ को उम्मीदवार बनाया है, जो पंजाबी खत्री हैं। भाजपा के भी ज्यादातर दावेदार अगड़ी जातियों के हैं।
इसके साथ साथ वे यह भी मैसेज बनवा रहे हैं कि अगर मध्य प्रदेश में भाजपा जीतती है तो वह शिवराज के चेहरे पर जनादेश होगा, जिसे चुनाव के बाद बदला नहीं जा सकेगा। ध्यान रहे शिवराज ऐसी स्थिति बनाना चाहते हैं कि पार्टी आलाकमान को मजबूर होकर उनका नेतृत्व स्वीकार करना पड़े। तभी सवाल है कि क्या इस तरह की हिम्मत राजस्थान में वसुंधरा राजे या छत्तीसगढ़ में रमन सिंह दिखा सकेंगे? भाजपा ने रमन सिंह की टिकट घोषित कर दी है और उनको कुछ तरजीह भी मिली है लेकिन उनकी हिम्मत नहीं होगी कि वे खुल कर चुनाव प्रचार में यह कह सकें कि जनता उनको मुख्यमंत्री चुने। राजस्थान में वसुंधरा राजे ने अभी तक ऐसा एक बयान नहीं दिया है, जिससे आला नेता नाराज हों। तभी कहा जा रहा है कि वे अब भी इस उम्मीद में हैं कि भाजपा जीतती है तो उनको मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।