कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी ने सूचना के अधिकार कानून के तहत दिए गए एक आवेदन से मिली जानकारी के हवाले बताया है कि भारत के चुनाव आयोग के पास इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन का सोर्स कोड नहीं है। सोर्स कोड कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की एक भाषा है, जिसका इस्तेमाल करके मशीन को निर्देश दिया जाता है। यानी किसी भी मशीन को कामकाज का निर्देश देने और उसके इस्तेमाल के नियम बनाने के लिए सोर्स कोड का इस्तेमाल होता है। लेकिन चुनाव आयोग के पास ईवीएम का सोर्स कोड नहीं है। यानी जो ईवीएम का मालिक है उसको पता नहीं है कि उसको मशीन को निर्देश देने वाली भाषा का कुछ भी अता-पता नहीं है। इस मामले में एक सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करके सोर्स कोड सार्वजनिक करने का निर्देश देने की मांग की गई थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया है।
मनीष तिवारी ने ट्विट करके बताया है कि एक आरटीआई के जवाब में आयोग ने कहा था कि उसके पास सोर्स कोड नहीं है। उन्होंने इस पर हैरानी जताते हुए कहा कि यह अजीब बात है कि मशीन के मालिक इस बात की पुष्टि करते हैं कि उनको पास मशीन का मूल कोड नहीं है। तिवारी ने इस आधार पर अगले लोकसभा चुनाव में ईवीएम की बजाय बैलेट से चुनाव कराने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि लोकतंत्र इतना कीमती है कि उसे तकनीक पर नहीं छोड़ा जा सकता है। ईवीएम में हेरा-फेरी की जा सकती है यह आशंका ही अपने आप में पर्याप्त है कि इसकी बजाय बैलेट से वोटिंग हो। ध्यान रहे दुनिया के अनेक देश, जिन्होंने ईवीएम अपनाया था वे बैलेट पेपर से चुनाव कराने पर लौट गए हैं। जिन देशों ने इसका आविष्कार किया वे भी इसे छोड़ चुके हैं। बहरहाल, विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ‘इंडिया’ की ओर से यह बड़ा मुद्दा होने वाला है।