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वाईएसआर शर्मिला का मामला क्यों अटका है?

तेलंगाना में विधानसभा चुनाव की घोषणा किसी भी समय हो सकती है। नवंबर में पांच राज्यों के चुनाव होने हैं और चुनाव आयोग अक्टूबर के पहले हफ्ते या दूसरे हफ्ते में चुनाव की घोषणा कर सकता है। लेकिन अभी तक कांग्रेस ने वाईएसआर तेलंगाना पार्टी की नेता वाईएसआर शर्मिला से तालमेल की बात नहीं कर पाई है। कुछ समय पहले शर्मिला दिल्ली आई थीं और कांग्रेस नेता सोनिया गांधी से मिली थीं। सोनिया गांधी ने गले लगा कर उनका स्वागत किया था। तब कहा जा रहा था कि सारी बातें तय हो गईं हैं। ध्यान रहे शर्मिला के पिता दिवंगत वाईएसआर रेड्डी ने कांग्रेस को 2004 में केंद्र की सत्ता दिलाई थी। उनकी कमान में कांग्रेस आंध्र प्रदेश से 29 सीटें जीत कर आई थी। अगले चुनाव में वहां कांग्रेस 33 सीटों पर जीती। लेकिन उनके निधन के बाद कांग्रेस ने राज्य का बंटवारा किया और जगन मोहन रेड्डी को सीएम नहीं बनाया, जिससे सोनिया गांधी के साथ परिवार के संबंध खराब हुए।

अब एक बार फिर शर्मिला के जरिए दोनों परिवारों में नजदीकी हो रही है। ध्यान रहे जगन और शर्मिला की मां अब भी सक्रिय हैं और अपने दोनों बच्चों की राजनीति पर नजर रखती हैं। अगर शर्मिला ने तेलंगाना में अलग पार्टी बना कर राजनीति की है और कांग्रेस से बात कर रही हैं तो इसमें उनकी मां की सहमति जरूर होगी। बहरहाल, तालमेल का मामला इसलिए अटका हुआ है क्योंकि कांग्रेस अब भी चाहती है कि वे अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दें। बताया जा रहा है कि वे पार्टी का विलय एक ही शर्त पर करेंगी, जब कांग्रेस उनको नेता बनाए और मुख्यमंत्री का चेहरा बना कर लड़े। कांग्रेस ऐसा नहीं कर सकती है क्योंकि कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने तेलंगाना के प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी पर दांव लगाया है। सो, कांग्रेस और वाईएसआर तेलंगाना पार्टी में तालमेल हो सकता है लेकिन उसमें भी सीटों का पेंच फंस रहा है।

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