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दलित राजनीति में दो नए चेहरे

उत्तर प्रदेश के फायरब्रांड दलित नेता चंद्रशेखर आजाद राज्य के बाहर दांव आजमा रहे हैं। उनकी आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) राजस्थान में चुनाव लड़ रही है। उन्होंने प्रदेश के जाट नेता हनुमान बेनिवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से तालमेल किया है। राजस्थान में बहुजन समाज पार्टी का अच्छा खासा आधार रहा है और पिछली बार उसके छह विधायक जीते थे, जो बाद में कांग्रेस में चले गए। इस बार भी बसपा अकेले चुनाव लड़ रही है। अगर उसके मुकाबले चंद्रशेखर आजाद की पार्टी को कुछ कामयाबी मिलती है तो उनकी पार्टी स्थापित होगी और अगले लोकसभा चुनाव के लिए वे किसी भी गठबंधन के साथ बेहतर मोलभाव करने की स्थिति में होंगे। वैसे विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के साथ यूपी की एक सीट पर उनके लड़ने की बात पहले से चल रही है।

बहरहाल, चंद्रशेखर आजाद और उनकी पार्टी के उभरने से मायावती चिंतित हैं। उनको लग रहा है डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के साथ साथ कांशीराम की विरासत का भी दावेदार पैदा हो गया है। ध्यान रहे मायावती ने अंबेडकर और कांशीराम की विरासत का उत्तराधिकारी अपनी ओर से अपने भतीजे आकाश आनंद को बनाया है। आकाश के पास बहुजन समाज पार्टी का पूरा ढांचा है लेकिन चंद्रशेखर की लोकप्रियता काफी ज्यादा है। तभी मायावती उनकी पार्टी को कमजोर करने का मौका खोजती रहती हैं। इस बीच दलित राजनीति का एक दूसरा चेहरा उभरा है मंजीत सिंह नौटियाल है। उन्होंने भीम आर्मी-जय भीम नाम से संगठन बनाया है। पिछल दिनों आकाश आनंद से नौटियाल की मुलाकात हुई है। ध्यान रहे आकाश आनंद बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर के नाते देश भर का दौरा कर रहे हैं। हालांकि पांच राज्यों में चुनाव प्रचार की कमान खुद मायावती संभालेंगी। लेकिन संगठन के काम में उन्होंने आकाश को लगाया है। ऐसा लग रहा है कि चंद्रशेखर आजाद को कमजोर करने के लिए बसपा की ओर से भीम आर्मी-जय भीम संगठन को ताकत दी जाएगी।

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