कांग्रेस पार्टी ने उदयपुर के नवसंकल्प शिविर में तय किया था कि एक व्यक्ति, एक पद के सिद्धांत पर पूरी गंभीरता से अमल किया जाएगा। लेकिन संकल्प शिविर के तुरंत बाद भाजपा ने इस सिद्धांत के अपवाद बनाने शुरू कर दिए। अब स्थिति यह है कि पार्टी के दोनों संसदीय नेता इसका अपवाद हैं। राज्यसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और उधर लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी पश्चिम बंगाल के प्रदेश अध्यक्ष हैं। नव संकल्प शिविर के एक साल होने जा रहे हैं और उनको बदलने की कोई चर्चा नहीं हो रही है। खड़गे के बारे में कहा जा रहा है कि पार्टी अध्यक्ष के तौर पर उनके बड़े बंगले और कई प्रोटोकॉल की जरूरत है, जो राज्यसभा में नेता विपक्ष रहने की वजह से मिल रहा है। इसलिए उनको बनाए रखा गया है।
परंतु अधीर रंजन के बारे में ऐसी कोई बात नहीं है। पार्टी के अनेक नेता चाहते हैं कि उनको पश्चिम बंगाल के अध्यक्ष पद से हटाया जाए। फैसला पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को करना है। लेकिन पिछले दिनों बेंगलुरू में विपक्षी पार्टियों की बैठक के दौरान सोनिया गांधी की ममता बनर्जी से कुछ बात हुई थी, जिसके बाद गेंद सोनिया के पाले में है। बताया जा रहा है कि सोनिया ने अपने परिवार की पुरानी करीबी ममता बनर्जी से कहा कि वे बंगाल की चार लोकसभा सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ दें। ये चारों सीटें मुस्लिम बहुल हैं और अधीर रंजन चौधरी की बेहरामपुर सीट भी इसमें शामिल है। लेकिन ममता बनर्जी ने साफ मना कर दिया। उन्होंने सोनिया गांधी से कहा कि वे जिन चार मुस्लिम बहुल सीटों की बात कर रही हैं उन्हीं में उन नेताओं की सीट भी है, जिन्होंने तृणमूल कांग्रेस की सरकार और खुद ममता बनर्जी के ऊपर हमला किया है। ममता ने नाम नहीं लिया लेकिन उनका साफ इशारा अधीर रंजन की ओर था। तभी सवाल है कि क्या सोनिया उनको प्रदेश अध्यक्ष पद से हटवाएंगी?