चुनाव खत्म होने के बाद ही इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम से सबकी दिलचस्पी खत्म हो गई है। ईवीएम की गड़बड़ी के आरोपों पर चुनाव आयोग से लेकर सुप्रीम कोर्ट और जंतर मंतर तक एक कर देने वाला तमाम योद्धा घर में बैठे हैं और आराम फरमा रहे हैं। अगर वे अब इसकी लड़ाई नहीं लड़ते हैं तो उनकी साख दो कौड़ी की हो जाएगी। अगर उनको लगता था कि ईवीएम में गड़बडी होती है और वे ईमानदार थे तो उन्हें अपनी लड़ाई जारी रखनी चाहिए। हैरानी की बात है कि ईवीएम को लेकर इतना बड़ा अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम होने के बावजूद भारत में ईवीएम की लड़ाई लड़ने वाले योद्धा शांत बैठे हैं।
दुनिया के सबसे बड़े उद्योगपतियों में से एक इलॉन मस्क ने कहा है कि ईवीएम को वापस लेना चाहिए क्योंकि इसे व्यक्तियों द्वारा या आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के जरिए हैक किया जा सकता है। उन्होंने यह बात प्यूर्टो रिको के चुनाव को लेकर कही है। वहां हुए चुनाव में ईवीएम में कई किस्म की गड़बड़ी की शिकायतें मिली हैं। प्यूर्टो रिको में एक अमेरिकी कंपनी ईवीएम की आपूर्ति करती है। खबर है कि कई जगह मशीन ने वोटों की गिनती में गड़बड़ी की। जितने वोट पड़े थे उससे ज्यादा वोट गिने। कई जगह ऐसा भी हुआ कि प्रत्याशियों को वोट मिले थे लेकिन ईवीएम ने दिखाया कि उन्होंने शून्य वोट मिला है। जांच में ये शिकायतें सही मिलीं तो ईवीएम सप्लाई करने वाली अमेरिकी कंपनी से इसकी शिकायत की गई। इसके बाद ही मस्क ने इसे हटा कर बैलेट से चुनाव कराने की बात कही। भारत के ईवीएम योद्धा इस मौके का लाभ उठाते हुए इस पर जनमत बनाने का प्रयास कर सकते थे। लेकिन चूंकि नतीजे उनके अनुमान से बेहतर आ गए हैं तो वे खुश होकर चुपचाप बैठे हैं।