evm mock poll: सुप्रीम कोर्ट इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन की शिकायतों को लेकर अपने एक फैसले में कहा है कि अगर किसी उम्मीदवार को लगता है कि ईवीएम में गड़बड़ी हुई है तो …
वह नतीजे आने के एक हफ्ते के भीतर शिकायत कर सकता है और उसकी शिकायत पर चुनाव आयोग उन जगहों पर ईवीएम के वोट दोबारा गिनेगा और उनका मिलान वीवीपैट मशीन की पर्चियों से किया जाएगा।
अदालत ने कहा है कि इसका खर्च नतीजे को चुनौती देने वाले उम्मीदवार को उठाना होगा।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के मुताबिक हरियाणा के सिरसा लोकसभा सीट के तहत आने वाली रानियां सीट के कांग्रेस उम्मीदवार सर्वमित्र ने नौ बूथों पर दोबारा गिनती की मांग की थी।
इसके लिए उन्होंने प्रति बूथ निर्धारित फीस भी जमा कर दी थी।
also read: दिल्ली चुनाव 2025 : बसपा ने 69 उम्मीदवारों के नामों का किया ऐलान
पिछले दिनों जिला निर्वाचन अधिकारी, रानियां से जीते अर्जुन चौटाला और चार हजार वोट से हारे कांग्रेस के सर्वमित्र की मौजूदगी में ईवीएम की जांच, वेरिफिकेशन और दोबारा गिनती का काम शुरू हुआ।
लेकिन तुरंत ही पता चल गया कि चुनाव अधिकारी दोबारा गिनती और वीवीपैट से मिलान नहीं करा रहे, बल्कि मॉक पोल करा कर उसके जरिए ईवीएम के सही होने का दावा कर रहे हैं।
कांग्रेस उम्मीदवार का दावा है कि उनसे कहा गया कि वे ईवीएम में एक सौ वोट डालें और फिर उसे गिना जाएगा। अगर एक सौ वोट निकलते हैं तो इसका मतलब है कि ईवीएम ठीक है।
इतना ही नहीं यह प्रोसेस शुरू करने के नाम पर ईवीएम का पुराना डाटा डिलीट कर दिया गया। इस पर कांग्रेस नेताओं ने खूब हंगामा किया और सर्वमित्र ने कहा कि उन्होंने तो पैसे रिकाउंटिंग और वीवीपैट मैच कराने के लिए जमा कराए थे।
उसकी जगह मॉक पोलिंग कैसे हो सकती है। उन्होंने हाई कोर्ट में इसे चुनौती देने और सुप्रीम कोर्ट जाने की बात भी कही है। लेकिन अब तो डाटा डिलीट हो चुका है।