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केजरीवाल ने विधानसभा को हथियार बनाया

दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र दो दिन के लिए बुलाया गया था। कहा गया था कि 16 और 17 अगस्त को विधानसभा का विशेष सत्र होगा। लेकिन बाद में सत्र 18 अगस्त तक चला। अगर कोई पूछे कि इस सत्र में क्या विधायी कामकाज हुआ तो आम आदमी पार्टी की सरकार के पास क्या जवाब होगा? क्या सरकार ने कोई विधेयक पेश किया? किसी विधेयक पर चर्चा कराई गई या कोई विधेयक पास हुआ? ध्यान रहे विधानसभा विधायी कामकाज के लिए है, राजनीतिक लड़ाई लड़ने का हथियार नहीं है। लेकिन दुर्भाग्य से अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा को राजनीतिक हथियार बना लिया है। 

वे गाहे-बगाहे विधानसभा का सत्र बुलाते रहते हैं। कोई विधायी कामकाज नहीं हो तब भी सत्र बुला लेते हैं। उसमें खुद खड़े होकर लंबे लंबे भाषण देते हैं। कोई विवादित बाद कह देते हैं, जिस पर विपक्ष हंगामा करता है तो विपक्ष के विधायकों को सदन से बाहर निकाल दिया जाता है और उसके बाद विधानसभ का पटल केजरीवाल के घर के ड्राइंग रूम में तब्दील हो जाता है, जहां वे जो मन में आता है वह बोलते हैं और उनकी पार्टी के विधायक या तो मेज थपथपाते हैं या हंसी ठट्ठा करते हैं। यह पहली बार हो रहा है कि कोई सरकार विधानसभा का सत्र सिर्फ इसलिए बुलाए कि मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री के ऊपर हमला करना है। उधर संसद में दिल्ली का सेवा बिल पास हुआ और इधर दिल्ली विधानसभा का सत्र बुला कर प्रधानमंत्री पर हमला शुरू हो गया। एक बार विधानसभा का सत्र बुलाने के बाद जल्दी उसका सत्रावसान भी नहीं किया जाता है ताकि स्पीकर जब चाहें तब अपनी मर्जी से सत्र बुला सकें और उप राज्यपाल से मंजूरी न लेनी पड़े। यह विधानसभा का दुरुपयोग है।   

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