हालांकि अभी तक इस बारे में आधिकारिक तौर पर किसी को पता नहीं है कि केंद्र सरकार इन्वेस्टिगेशन की कोई सुपर बॉडी बनाने जा रही है। लेकिन मीडिया में खबरें आ रही हैं कि केंद्र सरकार एक सेंट्रल इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर यानी सीआईओ का पद बना सकती है। जिस तरह से केंद्रीय सतर्कता आयुक्त यानी सीवीसी या चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी सीडीसी का पद बनाया गया है उसी तरह सीआईओ को पद बनाया जा सकता है। पिछले दिनों जब सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक संजय मिश्रा को हटाने का निर्देश दिया तभी से इस बात की चर्चा हो रही है। कहा जा रहा है कि सीआईओ का पद बना कर संजय मिश्रा को उस पर नियुक्त किया जाएगा और सीबीआई व ईडी के प्रमुख उनको रिपोर्ट करेंगे।
जब से इसकी चर्चा हो रही है तभी से इसका विरोध शुरू हो गया है। कहा जा रहा है कि कई वरिष्ठ अधिकारी इस पक्ष में नहीं हैं क्योंकि ऐसा होने पर सुप्रीम कोर्ट और नाराज हो सकता है। दूसरे, राजनीतिक तौर पर भी इसे अच्छा आइडिया नहीं माना जा रहा है क्योंकि इससे लोगों में गलत मैसेज जाएगा। विपक्ष को यह कहने का मौका मिलेगा कि सरकार की कोई कमजोर नस संजय मिश्रा के हाथ में है या सरकार उनसे कुछ ऐसा काम कराना चाहती है, जो दूसरे अधिकारी नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा एक समस्या यह बताई जा रही है कि आईपीएस काडर में इससे नाराजगी होगी। ध्यान रहे सीबीआई का निदेशक कोई वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी बनता है, जबकि संजय मिश्रा भारतीय राजस्व सेवा यानी आईआरएस के अधिकारी हैं। अगर वे सीआईओ बनते हैं तो पुलिस सेवा के ऊपर राजस्व सेवा का वर्चस्व बनेगा।