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शी का नहीं आना अच्छा या बुरा?

चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग जी-20 के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत नहीं आ रहे हैं। इस पर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने निराशा जताई है। सोचें, भारत मेजबानी कर रहा है। भारत की अध्यक्षता में बैठक हो रही है लेकिन भारत की बजाय अमेरिका निराशा जता रहा है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग या सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस भारत नहीं आ रहे हैं तो इस पर भारत को निराश होना चाहिए लेकिन भारत ने निराशा वाली कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। दूसरी ओर जो बाइडेन ने कहा है कि शी जिनफिंग के भारत नहीं जाने से निराश हैं क्योंकि वे वहां उनसे मिलने की उम्मीद कर रहे थे।

ध्यान रहे पिछली बार जी-20 की बाली में बैठक हुई थी, जहां शी जिनफिंग और बाइडेन के बीच दोपक्षीय वार्ता हुई थी। उस पूरी बैठक में जी-20 का एजेंडा पीछे थे और शी-बाइडेन की मुलाकात मुख्य थी। दोनों की मुलाकात में शिखर सम्मेलन दब गया। इस बार भी अगर नई दिल्ली में दोनों की मुलाकात होती तो जी-20 का एजेंडा दब जाता। देशी, विदेशी मीडिया का सारा फोकस उन दोनों की मुलाकात पर रहता। क्योंकि बाली के बाद बाइडेन ने कई वरिष्ठ अधिकारियों को बीजिंग भेजा था और संबंध सुधार की कोशिश की थी। बहरहाल, पुतिन और शी के नहीं आने से शिखर सम्मेलन का महत्व थोड़ा कम हुआ है लेकिन यह तय हो गया है कि फोकस इसके एजेंडे पर रहेगा और भारत व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेजबानी को पर्याप्त महत्व मिलेगा।

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