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समन्वय समिति मानों एक औपचारिकता

मुंबई की बैठक में विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ‘इंडिया’ की जो 14 सदस्यों की जो समन्वय समिति बनी है वह एक औपचारिकता दिख रही है। क्योंकि 14 सदस्यों की समिति में छह नेताओं को छोड़ दें तो कोई भी अपनी पार्टी के अंदर फैसला करने वाला नेता नहीं है। इसलिए समन्वय समिति की बैठकों में कोई फैसला नहीं हो पाएगा। ज्यादातर नेताओं को फैसला करने से पहले अपनी पार्टी के आलाकमान से बात करने की जरूरत होगी। सिर्फ छह ही ऐसे नेता बैठक में होंगे, जो अपनी पार्टी की ओर से अंतिम फैसला कर सकते है। एनसीपी के शरद पवार, पीडीपी की महबूबा मुफ्ती, नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुला, झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन, राजद के तेजस्वी यादव और सीपीआई के डी राजा ही फैसला कर सकेंगे।

इनके अलावा कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल समन्वय समिति के सदस्य हैं। लेकिन वे कांग्रेस की ओर से कोई फैसला नहीं कर सकते हैं। इसी तरह आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा हों या तृणमूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी, इनका चाहे जितना नाम हो लेकिन ये अपनी पार्टी की ओर से फैसला करने को अधिकृत नहीं हैं। समाजवादी पार्टी के जावेद अली खान के  शीर्ष नेताओं में कहीं आते ही नहीं हैं। इसी तरह डीएमके नेता टीआर बालू हों या शिव सेना के संजय राउत हों या जदयू के राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह इनके पास कोई वास्तविक ताकत नहीं है। सीपीएम से अगर सीताराम येचुरी हों तो अलग बात है लेकिन अगर कोई दूसरा नेता समन्वय समिति में आता है तो वह फैसला नहीं कर पाएगा।

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