प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा में प्रीडेटर ड्रोन खरीदने का करार हुआ है। करार होने के साथ ही इसे लेकर उसी तरह का विवाद शुरू हो गया है, जैसा राफेल को लेकर हुआ था। यह दिलचस्प संयोग कई लोगों ने बताया कि राफेल के सौदे के समय भी तब के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर मौजूद नहीं थे और प्रीडेटर ड्रोन के सौदे के समय भी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मौजूद नहीं थे। दूसरा सवाल इसकी कीमत को लेकर उठाया जा रहा है। हालांकि रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि विपक्ष जिस कीमत का हवाला दे रहा है वह अंतिम नहीं है। अभी कीमत को लेकर बातचीत होनी है और मोलभाव के बाद ही कीमत तय होगी।
मीडिया की खबरों के मुताबिक 31 प्रीडेटर ड्रोन यानी एमक्यू-9बी की कीमत तीन अरब डॉलर यानी तीन सौ करोड़ डॉलर है। इस लिहाज से एक ड्रोन करीब 10 करोड़ डॉलर का यानी आठ सौ करोड़ रुपए का बनता है। इसमें से 16 ड्रोन स्काई गार्डियन हैं यानी वायु सेना के लिए हैं और 15 सी गार्डियन यानी नौसेना के लिए हैं। विपक्ष का आरोप है कि ब्रिटेन ने यही ड्रोन सवा करोड़ पाउंड में यानी करीब 115 से 120 करोड़ रुपए में खरीदा है, जबकि भारत आठ सौ करोड़ में खरीद रहा है। कीमत में आठ गुना तक अंतर बताया जा रहा है। सोशल मीडिया में यह भी बताया जा रहा है कि जनरल एटॉमिक्स नाम की जो कंपनी इसे बनाती है उसके सीईओ भारतीय मूल के विवेक लाल हैं, जो पहले रिलायंस समूह के साथ काम कर चुके हैं। कंपनी यही ड्रोन अमेरिका को किस कीमत पर बेचती है उसका भी एक आंकड़ा चर्चा में है। सो, कुल मिला कर अंतिम तौर पर सौदा होने से पहले ही सौद के तौर-तरीके और कीमत को लेकर विवाद शुरू हो गया है।