कांग्रेस नेता राहुल गांधी दो दिन अमृतसर में रहे। इन दो दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चार रैलियां कीं। सोमवार को उन्होंने मध्य प्रदेश के ग्वालियर और राजस्थान के चितौड़गढ़ में रैली की और मंगलवार को छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में और फिर तेलंगाना के हैदराबाद में रैली की। यानी दो दिन में प्रधानमंत्री चारों चुनावी राज्यों में गए। लेकिन राहुल गांधी पंजाब के अमृतसर में बैठे रहे, जहां उन्होंने दो दिन स्वर्ण मंदिर में सेवा की और अरदास में हिस्सा लिया। इसको उनकी निजी यात्रा बताया गया और इस वजह से प्रदेश कांग्रेस के नेता इसमें शामिल नहीं हुए। कहीं भी उनके स्वागत का कार्यक्रम नहीं हुआ।
ध्यान रहे इस समय कनाडा में खालिस्तानी अलगाववादियों और आतंकवादियों की वजह से भारत और कनाडा का कूटनीतिक रिश्ता बिगड़ा है। ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में भी खालिस्तानी चरमपंथियों की गतिविधियों से हिंदुओं के साथ तनाव हुआ है। ऐसे समय में राहुल का स्वर्ण मंदिर में सेवा करना एक बड़ा मैसेज बनवाता है। वे जो बार बार मोहब्बत की दुकान की बात करते हैं उस लिहाज से यह अच्छा कदम है। उन्होंने दुनिया भर के सिख और हिंदुओं को मैसेज दिया है। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिख नरसंहार के लिहाज से देखें तो यह राहुल गांधी के प्रायश्चित की तरह भी दिखता है।
इसके अलावा टारगेटेड पोलिटिक्स के लिहाज से भी कांग्रेस इसे सही कदम बता रही है। ध्यान रहे पंजाब में पिछली बार कांग्रेस के आठ सांसद जीते थे। लेकिन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बुरी तरह से हारी। अब फिर लोकसभा में कांग्रेस के सामने अपनी जीती हुई सीटें बचाने की चुनौती है। कांग्रेस के एक जानकार नेता के मुताबिक पंजाब की राजनीति में आम आदमी पार्टी के साथ तालमेल करने या अकेले लड़ने दोनों ही स्थितियों में राहुल की दो दिन की यह यात्रा कांग्रेस के काम आएगी।