केंद्र सरका ने घरेलू रसोई गैस सिलिंडर की कीमतों में बड़ी कटौती की है। एक साथ दो सौ रुपए की कमी की गई। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा के तमाम नेताओं ने इसे रक्षा बंधन का तोहफा बताया और कहा कि बहनों को इससे बड़ी राहत मिलेगी। अब सवाल है कि बहनों की मुश्किल किसने बढ़ाई थी, जो मोदी सरकार को राहत देनी पड़ी? पिछले नौ साल में मोदी सरकार ने ही सिलिंडर की कीमतों में प्रति सिलिंडर सात सौ रुपए की बढ़ोतरी की, जिसमें से दो सौ रुपए कम किए गए हैं। एक आंकड़े के मुताबिक वित्त वर्ष 2018-19 में रसोई गैस सिलिंडर के ऊपर केंद्र सरकार 37,209 करोड़ की सब्सिडी देती थी और अब यह सब्सिडी घट कर 242 करोड़ रुपए की रह गई है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि सरकार ने सब्सिडी लगभग खत्म कर दी है। इससे सरकारी खजाने में कोई 37 हजार करोड़ रुपए की सालाना बचत हो रही है। पर हैरानी की बात है कि हर बात का ढिंढोरा पीटने वाली केंद्र सरकार कभी नहीं बताती है कि रसोई गैस पर उसने कितने रुपए बचा लिए।
बहरहाल, अब सवाल है कि सिलिंडर के बाद क्या पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भी कमी होगी? पिछले साल केंद्र सरकार ने उत्पाद शुल्क में कटौती करके कीमतें थोड़ी कम की थीं। लेकिन लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बहुत कम हैं फिर भी उपभोक्ताओं को उसका लाभ नहीं दिया जा रहा है। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के दौरान भारत की तेल कंपनियों ने सस्ता रूसी तेल खरीद कर हजारों करोड़ रुपए की कमाई की है लेकिन उपभोक्ताओं को उसका भी कोई लाभ नहीं मिला। लेकिन अब चुनावों से पहले सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों पर राहत देना शुरू किया है। सबसे पहले रसोई गैस सिलिंडर पर राहत मिली है। अब कहा जा रहा है कि पेट्रोल और डीजल भी सरकार जल्दी ही राहत दे सकती है। कहा जा रहा है कि त्योहारों का सीजन शुरू होने वाला है और उसके बाद लोकसभा के चुनाव हैं। सो, त्योहारों के बीच लोगों के लिए कई तरह की राहत का ऐलान हो सकता है।