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राज करने की इच्छा पर रोक लगाएं राज्यपाल

भारत में किसी भी सरकारी पद पर बैठा हुआ व्यक्ति अपने को माई-बाप समझता है और उसमें राज करने की इच्छा जोर मारती रहती है। इन दिनों राज्यपालों के मन में ऐसी इच्छाओं का तूफान आया हुआ है। खास कर ऐसे राज्यों में, जहां भाजपा विरोधी पार्टियों की सरकारें हैं। वहां राज्यपाल चाहते हैं कि मुख्यमंत्री की तरह वे भी आदेश दें, लोग उनके आदेशों का पालन करें यानी वे भी राज चलाएं। कई राज्यों में ऐसा देखने को मिला है। ताजा मामला बिहार और पश्चिम बंगाल का है, जहां राजभवनों से विश्वविद्यालयों को आदेश भेजा गया है कि वे राज्यपाल से आदेश लें।

यह सही है कि विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति में राज्यपाल की भूमिका होती है हालांकि कई राज्यों में कुलपतियों की नियुक्ति में भ्रष्टाचार और पक्षपात की खबरों के बाद राज्य सरकारों ने कानून बना कर नियुक्ति का अधिकार अपने पास लेना शुरू कर दिया। पिछले दिनों पश्चिम बंगाल में 14 विश्वविद्यालयों में कुलपतियों के पद खाली थे तो राज्यपाल ने खुद हो कार्यकारी कुलपति घोषित कर दिया। राजभवन से जारी आदेश में कहा गया कि कुलपतियों को सरकार से आदेश लेने की जरूरत नहीं है वे राजभवन के आदेश से काम करेंगे। इसी तरह की आदेश बिहार में भी राजभवन से जारी किया गया। अब पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने विश्वविद्यालयों के लिए आदेश जारी करके कहा कि वे सरकार के आदेश से काम करें। उनको कहा गया है कि वे अगर राजभवन के आदेश से काम करते हैं तो सरकार उनका फंड रोक देगी। जाहिर है राज्यपाल और राज्य सरकार के इस टकराव में विश्वविद्यालयों का काम प्रभावित होगा।

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