ऐसा लग रहा है कि देश के व्यापारियों की चिंता अकेले अरविंद केजरीवाल को है क्योंकि वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी को धन शोधन निरोधक कानून, पीएमएलए के दायरे में लाने और ईडी को इस मामले में शामिल करने के फैसले का विरोध सिर्फ आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल ने किया है। उन्होंने इसे बड़ा मुद्दा बनाया है। हालांकि हैरानी की बात है कि मंगलवार को हुई जीएसटी कौंसिल की बैठक में यह मुद्दा नहीं बना। केजरीवाल ने सभी राज्यों से अपील की थी कि वे इसका विरोध करें और बदलने की मांग करें। उनकी पार्टी लगातार ट्विट कर रही है कि एक करोड़ 38 लाख व्यापारियों को इस बदलाव से बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
केजरीवाल का दावा है कि जीएसटी भरना बहुत तकनीकी काम है और जरा सी भी गड़बड़ी पर पीएमएलए की धाराएं लग जाएंगी और ईडी गिरफ्तार कर लेगी। यह सचमुच देश के व्यापारियों के लिए बहुत मुश्किल पैदा करने वाला होगा। उनके ऊपर हमेशा तलवार लटकी होगी और कारोबार करना मुश्किल होगा। ध्यान रहे केजरीवाल जब पहली बार सत्ता में आए थे तो उन्होंने वैट के छापे बंद कराने का ऐलान किया था और बंद करा भी दिया था। उसकी वजह से कारोबारी उनके साथ जुड़े थे। अब जीएसटी को पीएमएलए के दायरे में लाना और ईडी को अधिकार देना ऐसा ही मुद्दा है, जिस पर केजरीवाल देश के कारोबारियों का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।