केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को रॉबर्ट वाड्रा की याद आ गई है। इस बात का इंतजार कई दिनों से किया जा रहा था कि कांग्रेस राज के भ्रष्टाचार की बात करने के लिए भाजपा नेता सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा का नाम कब लेंगे। अमित शाह ने सोमवार, 23 सितंबर को लोगों की यह मंशा पूरी की। उन्होंने हरियाणा की एक सभा में कहा कि राज्य में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार थी तो ‘डीलरों और दामाद की सरकार चलती थी’। उन्होंने रॉबर्ट वाड्रा को निशाना बनाते हुए यह यह भी कहा कि हुड्डा की सरकार के समय किसानों की जमीन छीन कर दामाद को दिया गया। उन्होंने पिछले 20 साल से लगाए जा रहे तमाम आरोपों को दोहराया।
सवाल है कि हरियाणा चुनाव के समय ही रॉबर्ट वाड्रा क्यों याद आते हैं? केंद्र में 10 साल से भाजपा की सरकार है और इतने ही समय से हरियाणा में भी भाजपा की सरकार है। फिर डबल इंजन की सरकार ने किसानों की जमीन छीन कर किसी दामाद को देने के मामले की जांच क्यों नहीं कराई और अगर जांच कराई तो उसका क्या निष्कर्ष है? जो सरकार बात बात में मुख्यमंत्रियों को पकड़ कर जेल में डाल दे रही है उसने इतने आरोप लगाने के बावजूद रॉबर्ट वाड्रा को क्यों नहीं पकड़ा? अनेक बार एजेंसियों ने उनसे पूछताछ की है लेकिन उससे आगे कार्रवाई नहीं हुई। इसलिए चुनाव के समय उनको याद करने की बजाय भाजपा को चाहिए कि कम से कम अब बताए कि वह रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ कार्रवाई कब तक करेगी और कब तक किसानों की जो जमीन कथित तौर पर भ्रष्टाचार के जरिए उनको दी गई है वह वापस लेगी।