खबर है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की सीट बदली जाएगी। प्रदेश अध्यक्ष मोहन बडौली ने इसकी घोषणा कर दी। बडौली ने कहा कि मुख्यमंत्री सैनी लाडवा सीट से लड़ेंगे। फिलहाल वे करनाल सीट से विधायक हैं, जो मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफे से खाली हुई थी। हालांकि सैनी ने कहा है कि वे अपनी सीट नहीं छोड़ेंगे लेकिन उसी सांस में कहा कि पार्टी जो कहेगी सो करने के लिए वे तैयार हैं। यह भी कहा जा रहा है कि वे करनाल और लाडवा दोनों सीटों से चुनाव लड़ सकते हैं। सवाल है कि जिन सैनी के नाम पर भाजपा को चुनाव लड़ना है उनकी सीट बदलने या दो सीटों से लड़ाने के पीछे क्या सोच है?
क्या भाजपा को लग रहा है कि सैनी चुनाव हार सकते हैं? क्या खट्टर सरकार के खिलाफ जिस एंटी इन्कम्बैंसी की चर्चा चल रही है उसका नुकसान सैनी को हो सकता है? लेकिन अगर ऐसा होता तो उपचुनाव में भी दिखता लेकिन वहां तो सैनी आराम से चुनाव जीत गए। ऐसा लग रहा है कि भाजपा सुरक्षित खेलना चाहती है। उत्तराखंड के अनुभव से उसने यह सबक लिया है। उत्तराखंड में इसी तरह भाजपा ने विधानसभा चुनाव से तीन चार महीने पहले तीरथ सिंह रावत को हटा कर पुष्कर सिंह धामी को सीएम बनाया था और विधानसभा चुनाव में हार गए थे। हारने के बाद भी उनको मुख्यमंत्री बनाया गया और वे दूसरी सीट से उपचुनाव लड़ कर जीते। झारखंड में भी भाजपा के मुख्यमंत्री रघुवर दास चुनाव हारे थे। ऐसा कुछ हरियाणा में न हो इसलिए पार्टी सुरक्षित रास्ता अख्तियार कर रही है।