राहुल गांधी ने हरियाणा में आम आदमी पार्टी के साथ तालमेल की पहल की, यह सबके लिए हैरानी की बात दिख रही है। कांग्रेस के नेता भी हैरान हैं कि आखिर अचानक राहुल ने क्यों यह कदम उठाया। बताया जा रहा है कि कांग्रेस को जमीनी फीडबैक और सर्वेक्षण की रिपोर्ट से पता चला है कि वहां वोट बंट सकता है, जिसका फायदा भाजपा को होगा। ध्यान रहे राज्य में पहले से इंडियन नेशनल लोकदल व बसपा और जननायक जनता पार्टी व आजाद समाज पार्टी का तालमेल हो गया है। ये दोनों गठबंधन जाट और दलित वोट में सेंध लगाएंगे, जिसके भरोसे कांग्रेस चुनाव लड़ रही है। ऊपर से अगर अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी अकेले लड़ती है तो वह भी कुछ वोट काट सकती है।
कांग्रेस को इस बात की चिंता है कि हरियाणा की सीमा से लगते दो राज्यों, दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है। इन दोनों राज्यों में आप की मुफ्त में तमाम तरह की वस्तुएं, सेवाओं और नकदी देने की योजनाओं का असर कुछ सीटों पर पड़ सकता है। खासतौर से दिल्ली और पंजाब से लगती सीमा वाली सीटों पर कुछ असर हो सकता है। किसानों का कुछ वोट भी आप को जा सकता है। तभी कांग्रेस ने आप के साथ तालमेल की पहल की। उसको यह मैसेज देना है कि विपक्षी गठबंधन बिखरा नहीं है। यह मैसेज दूसरे राज्यों में भी असर डालने वाला हो सकता है। लोकसभा चुनाव में बेशक कुरुक्षेत्र सीट पर आप के उम्मीदवार हार गए थे लेकिन कांग्रेस को उस तालमेल का फायदा हुआ है।