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मायावती की रैलियां कांग्रेस को नुकसान करेंगी

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हरियाणा में बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती ने रैलियां बढ़ा दी हैं। हालांकि उनके सक्रिय होने के बाद अचानक रहस्यमय तरीके से उनके भतीजे आकाश आनंद की गतिविधियां धीमी हो गई हैं। पहले आकाश आनंद ने शुरुआत की थी और उन्होंने अपनी रैली में कांग्रेस को निशाना बनाया था। दिलचस्प बात यह है कि बसपा और इनेलो एक साथ मिल कर चुनाव लड़ रहे हैं और जैसे इस गठबंधन का मुकाबला कांग्रेस से है वैसे ही मुकाबला भाजपा से भी है लेकिन भाजपा के खिलाफ इसके नेता नहीं बोल रहे हैं। सोचें, राज्य में भाजपा की 10 साल से सरकार है लेकिन इनेलो और बसपा दोनों का निशाना कांग्रेस पर है। दोनों कांग्रेस को दलित विरोधी ठहराने में लगे हैं।

बहरहाल, मायावती ने एक के बाद एक कई रैलियां हरियाणा में की हैं और हर रैली में कांग्रेस को दलित और विकास विरोधी बता कर वोट मांगा है। उन्होंने राहुल गांधी के अमेरिका में दिए बयान की मनमानी व्याख्या करके उसे आरक्षण विरोधी ठहराया था और इसके लिए राहुल पर हमला बोला था। वे रैलियों में भी ऐसा कर रही हैं। उनकी रैलियों ने दलित समूहों के बीच विभाजन भी बढ़ा दिया है। पिछले दिनों उनके एक बयान को लेकर कई दलित समूहों ने विरोध किया। ध्यान रहे दलित समूहों में वर्गीकरण का मामला हरियाणा में राजनीतिक रूप से इस्तेमाल किया जा रहा है। दलित समूह एक दूसरे के खिलाफ खड़े दिख रहे हैं। दूसरी ओर कांग्रेस ने कुमारी सैलजा को मना लिया है और इसका उसको फायदा भी होगा लेकिन मायावती और चंद्रशेखर आजाद कई जगह कांग्रेस का वोट काट देंगे। खास कर उन सीटों पर जहां दोनों ने दलित या मुस्लिम उम्मीदवार को चुनाव में उतारा है। यह दोनों कांग्रेस का कोर समर्थक वोट बैंक है।

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