हरियाणा में कांग्रेस की हार और जम्मू कश्मीर में बहुत खराब प्रदर्शन का एक तत्काल असर महाराष्ट्र और झारखंड में चल रहे सीट बंटवारे पर पड़ेगा। दोनों राज्यों में कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों के बीच सीटों के बंटवारे की बात चल रही है। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी के साथ कांग्रेस को सीटों का बंटवारा करना है। उधर झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा और राजद के साथ तालमेल की बात चल रही है और सीट शेयरिंग पर मामला उलझा हुआ है। दोनों राज्यों में प्रादेशिक पार्टियां कांग्रेस को ज्यादा सीट छोड़ने के लिए कह रही हैं।
जिस तरह जम्मू कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 51 सीटों पर लड़ कर 42 सीट जीती और कांग्रेस 31 सीट पर लड़ कर सिर्फ छह सीट जीत पाई या हरियाणा में जिस तरह से आम आदमी पार्टी ने अलग लड़ कर कांग्रेस को पांच सीटें हरवा दी उससे महाराष्ट्र और झारखंड के सहयोगियों की मोलभाव की ताकत बढ़ गई है। झारखंड में जेएमएम वैसे भी विधानसभा में 30 और लोकसभा में तीन सीट जीतने के बाद ज्यादा सीटों की मांग कर रही है। वह 48 से 50 सीट लड़ना चाहती है और कांग्रेस को 25 सीटों पर लड़ने के लिए कह रही है। राजद की भी सीटें कम करने का दावा किया जा रहा है। इसी तरह महाराष्ट्र में दोनों पार्टियां चाहती हैं कि कांग्रेस एक सौ सीटों पर लड़े। कांग्रेस की मांग 125 या उससे ज्यादा सीट की है।