कांग्रेस पार्टी के हरियाणा के नेता पता नहीं कैसे यह मान कर बैठे हैं कि अगले साल चुनाव में राज्य में कांग्रेस की सरकार बननी तय है। इसलिए चुनाव से पहले ही सारे नेता नेतृत्व का मसला सुलझाने में लग गए हैं। अभी तक यह माना जा रहा था कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंदर सिंह हुड्डा पार्टी के सर्वोच्च नेता हैं और राज्य के मामले में वे जो तय करेंगे वही होगा। उन्होंने कुमारी शैलजा की राज्यसभी सीट लेकर अपने बेटे को दे दी और अपनी पसंद के नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। ज्यादातर विधायक उनके खेमे के हैं इसलिए माना जा रहा है कि वे सबसे मजबूत हैं। लेकिन हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद कांग्रेस आलाकमान की ताकत बढ़ी है। मल्लिकार्जुन खड़गे के अध्यक्ष बनने से भी पार्टी के अंदर माहौल बदला है। और अगर पांच राज्यों के चुनाव में कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन करती है तो एक बार फिर गांधी परिवार पहले की तरह सारे फैसले करने लगेगा। प्रादेशिक क्षत्रपों की ताकत कम होगी।
यही वजह से हरियाणा में हुड्डा विरोधी खेमा सक्रिय हो गया है। हुड्डा विरोधी दो नेता रणदीप सुरजेवाला और कुमारी शैलजा क्रमशः मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पार्टी को चुनाव लड़वा रहे हैं। सुरजेवाला कर्नाटक के प्रभारी थे तो वहां भी पार्टी जीती थी। इन दोनों नेताओं के साथ किरण चौधरी भी शामिल हैं। पिछले दिनों हुड्डा ने अपने को मुख्यमंत्री मान कर बयान दिया कि कांग्रेस किसी ब्राह्मण को उप मुख्यमंत्री बनाएगी। इस पर विवाद हुआ तो उन्होंने कहा कि ब्राह्मण, पिछड़ी जाति, दलित सहित चार उप मुख्यमंत्री बनेंगे। उनकी इस बात को खारिज करते हुए कुमारी शैलजा ने कहा कि कांग्रेस आलाकमान ने ऐसा कोई फॉर्मूला नहीं बनाया है कि चार उप मुख्यमंत्री बनेंगे। ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस के सारे नेता मनमाने तरीके से बयान दे रहे हैं और पार्टी आलाकमान सही समय का इंतजार कर रहा है।