Himachal government bureaucracy: नौकरशाही के कामकाज को लेकर देश के अनेक राज्यों की सरकारों को चिंता है।
खासकर उन राज्यों में, जहां सरकार की अस्थिरता की स्थिति बन जाती है वहां अधिकारी काम नहीं करते हैं। हिमाचल प्रदेश की सरकार इसी संकट से गुजर रही है।
वहां के अधिकारी काम नहीं कर रहे हैं, बल्कि टाइमपास कर रहे हैं। उनको लग रहा है कि सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार स्थिर नहीं है और किसी समय गिर सकती है।
कोई भी अधिकारी आगे बढ़ कर फैसला करने से इसलिए हिचक रहा है क्योंकि उसको लग रहा है कि अगर सरकार गिर गई तो नई सरकार आने पर उसके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है या अगर वह पुरानी सरकार का करीबी दिखेगा तो नई सरकार में अच्छी पोस्टिंग नहीं मिलेगी।
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तभी राज्य के मुख्यमंत्री को नौकरशाही के लिए अपील जारी करनी पड़ी। उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव से कहा कि वे अधिकारियों को समझाएं कि यह सरकार कहीं नहीं जा रही है। यानी सरकार स्थिर है।
सोचें, क्या स्थिति बन गई? असल में भाजपा ने पिछले साल राज्यसभा के चुनाव में कांग्रेस के विधायकों और सरकार का समर्थन करने वाले निर्दलीय विधायकों से अपने उम्मीदवार के पक्ष में क्रॉस वोटिंग करा कर सरकार को कमजोर साबित कर दिया।
हकीकत यह थी कि 68 सदस्यों की विधानसभा में 40 विधायकों के साथ मजबूत सरकार बनी थी। हालांकि एक बार की फूट के बाद कांग्रेस ने अपने को मजबूत किया और फिर अपने विधायकों की संख्या 40 पहुंचा ली है
लेकिन सरकार के अस्थिर होने की जो धारणा एक बार बन गई वह बनी हुई है। खुद उप मुख्यमंत्री विक्रमादित्य सिंह को लेकर भी संदेह बना हुआ है। तभी उन्होंने स्थिति स्पष्ट करने का प्रयास किया।