ऐसा लग रहा है कि भारतीय जनता पार्टी हिमाचल प्रदेश में ऑपरेशन लोटस के विफल होने से बहुत अपसेट है। असल में भाजपा का प्लान फूलप्रूफ था। राज्यसभा चुनाव के समय कांग्रेस के छह और तीन निर्दलीय विधायकों से भाजपा ने क्रॉस वोटिंग करा ली थी। उसको लग रहा था कि कांग्रेस के 40 में से छह विधायक कम हो जाएंगे और तीन निर्दलीय विधायकों का समर्थन खत्म हो जाएगा तो सरकार तुरंत गिर जाएगी। लेकिन कांग्रेस ने संकट प्रबंधन बहुत कायदे से किया। डीके शिवकुमार और भूपेंद्र सिंह हुड्डा को पार्टी ने तत्काल शिमला भेजा था। प्रतिभा सिंह और उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह को मनाया गया और बाकी काम स्पीकर ने कर दिया। स्पीकर ने कांग्रेस के छह विधायकों को तो अयोग्य ठहरा दिया लेकिन तीन निर्दलीय विधायकों का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया। तभी राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के अभिषेक सिंघवी को हराने के बावजूद भाजपा सरकार गिराने के अभियान में सफल नहीं हुई।
पहला अभियान विफल होने के बाद लग रहा है कि भाजपा बहुत अपसेट है। वह दूसरे अभियान में लग गई है। दूसरे अभियान में भाजपा परदे के पीछे है और विश्व हिंदू परिषद व बजरंग दल ने कमान संभाली है। अचानक प्रदेश के अलग अलग शहरों में मस्जिदों को लेकर आंदोलन शुरू हो गया है। राजधानी शिमला के संजौली मस्जिद में अवैध निर्माण को लेकर हजारों लोग सड़कों पर उतरे। विश्व हिंदू परिषद ने लोगों को मोबिलाइज किया। अभी यह विवाद थमा नहीं था कि मंडी में इसी तरह मस्जिद में अवैध निर्माण के खिलाफ आंदोलन शुरू हो गया। राज्य के अलग अलग शहरों में मुस्लिमों के खिलाफ प्रदर्शन और पोस्टरबाजी शुरू हो गई। इसका नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस के विधायक बैकफुट पर आए। विधानसभा में कांग्रेस के मंत्री को भी अवैध मस्जिदों के खिलाफ बोलना पड़ा। इसे लेकर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि कांग्रेस के नेता भाजपा की जुबान बोल रहे हैं। जानकार सूत्रों का कहना है कि भाजपा को लग रहा है कि अगर प्रदर्शन जारी रहते हैं और ध्रुवीकरण होता है तो कांग्रेस के अनेक विधायकों के लिए असहज स्थिति हो जाएगी। तभी भाजपा को लग रहा है कि कांग्रेस के विधायक जन भावना को देखते हुए पार्टी छोड़ेंगे। अभी विधानसभा का तीन साल से ज्यादा का कार्यकाल बचा हुआ है।