देश में एक तरफ यह नैरेटिव बना हुआ है कि हिंदुओं की सरकार है और वह हिंदुओं के लिए बहुत काम कर रही है। अयोध्या में मंदिर बनने से लेकर जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने तक और नागरिकता कानून में संशोधन से लेकर अब प्रस्तावित समान नागरिक संहिता तक का उदाहरण दिया जाता है। मुस्लिम समुदाय में प्रचलित तीन तलाक को समाप्त करने का भी जिक्र होता है। लेकिन इन सबके बीच ऐसे हिंदुवादी विचारक, जो नौ साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में देश का भविष्य और हिंदू के गौरव की बहाली की संभावना देख रहे थे उनमें से काफी लोग नाराज हो गए हैं। वे खुल कर सोशल मीडिया में अपनी नाराजगी का इजहार कर रहे हैं। यहां तक कि समान नागरिक संहिता का भी विरोध किया जा रहा है।
ऐसे लोगों में मधु किश्वर, सुब्रह्मण्यम स्वामी, एम नागेश्वर राव आदि के नाम लिए जा सकते हैं। नागेश्वर राव आईपीएस अधिकारी रहे हैं और एक समय सीबीआई में जब शीर्ष अधिकारियों में विवाद हुआ था और आधी रात में निदेशक हटाए गए थे तो अंतरिम प्रभार राव को ही दिया गया था। उन्होंने समान नागरिक संहिता पर हो रही चर्चा का विरोध किया है। राव ने कहा है कि नौ साल में इस कानून का मसौदा तैयार नहीं किया और न लोगों को बताया कि इसमें क्या है और अब जब लोकसभा चुनाव नजदीक आया तो इसे लागू करने की बात हो रही है।
इसी तरह समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट सामने आने से पहले मधु किश्वर ने इस पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा है कि हिंदू समाज के लिए मोदी जी सबसे बड़े धोखेबाज साबित हुए हैं। किश्वर का कहना है कि मोदी ने नेहरू और सोनिया को पीछे छोड़ दिया है। उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा है कि संयुक्त हिंदू परिवार से जुड़े प्रावधानों को खत्म करने के लिए समान नागरिक संहिता आ रही है। उनका कहना है कि नेहरू के हिंदू कोड बिल के बाद भी जो प्रावधान बने रहे थे और एचयूएफ जैसे प्रावधान जो धर्मांतरण के रास्ते की सबसे बड़ी बाधा हैं उनको भी बदला जा सकता है। उन्होंने आरोप लगाया है कि मुस्लिम समाज में प्रचलित बहुविवाह और हलाला को रोकना यूसीसी का मुख्य एजेंडा नहीं है। भाजपा के पूर्व सांसद सुब्रह्मण्मय स्वामी ने तो मोदी सरकार के खिलाफ खुल कर बगावत का ऐलान कर दिया है।