भारतीय क्रिकेट टीम एकदिवसीय क्रिकेट के विश्व कप के फाइनल में पहुंच गई है। रविवार को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच फाइनल खेला जाना है। पूरा देश क्रिकेट के खुमार में डूबा है और दुनिया भर के क्रिकेट प्रेमी और मशहूर हस्तियां अहमदाबाद पहुंच रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी मैच देखने के लिए स्टेडियम में मौजूद रहेंगे। राजनीति के अलावा फिल्म, खेल व उद्योग जगत की अनेक हस्तियां पहुंचने वाली हैं। इस आयोजन को कितना बड़ा रूप दिया गया है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मैच से पहले भारतीय वायु सेना के विमानों का फ्लाईपास्ट होगा और विमान करतब दिखाएंगे।
बहरहाल, क्रिकेट के इस खुमार में खूब राजनीति भी हो रही है। भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार के एजेंडे का निरंतर समर्थन करने वाले एक न्यूज चैनल के एंकर ने बिल्कुल ब्लैक एंड व्हाइट अंदाज में बताया है कि अगर भारतीय क्रिकेट में आरक्षण लागू होता तो आज भारतीय टीम लगातार 10 मैच जीत कर फाइनल में नहीं पहुंच होती। उनके इस कार्यक्रम से पहले से इस बात पर सोशल मीडिया स्पेस में चर्चा चल रही थी। दक्षिण अफ्रीका के हार कर टूर्नामेंट से बाहर होने के बाद चर्चा और तेज हो गई। गौरतलब है कि दक्षिण अफ्रीका की टीम में आरक्षण लागू है और तेम्बा बवुमा पूरी तरह से अश्वेत पहले कप्तान हैं।
भारतीय क्रिकेट टीम में आरक्षण को लेकर बहुत तेज चैनल पर आरक्षण की बहस शुरू होने के बाद इसके पक्ष और विपक्ष में तर्क दिए जा रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि आरक्षण का विरोध करके चैनल और एंकर ने भाजपा का राजनीतिक नुकसान किया है। यहां तक दावा किया जा रहा है कि भाजपा के शीर्ष नेता इससे नाराज हैं और उन्हें कार्यक्रम करने वाले एंकर को फटकार लगाई है। पता नहीं इसमें कितनी सचाई है लेकिन हकीकत यह है कि भारतीय क्रिकेट टीम में आरक्षण की बात कोई कर नहीं रहा था। यह बहस सोशल मीडिया में सक्रिय कुछ ओबीसी ‘विचारकों’ ने शुरू किया। टूर्नामेंट के दौरान वे बताते रहे कि टीम में कितने ओबीसी और मुस्लिम हैं। खास फोकस दो यादव और दो मुस्लिम खिलाड़ियों पर था और यह अनायास नहीं है कि सपा, राजद समर्थक इसे एमवाई समीकरण कहते रहे।
बहरहाल, टीम में आरक्षण की यह बहस चल ही रही थी कि फाइनल से दो दिन पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भारतीय खिलाड़ियों की प्रैक्टिस जर्सी का मुद्दा उठा दिया। गौरतलब है कि भारतीय खिलाड़ियों की मैच और प्रैक्टिस को अलग अलग किया गया है। मैच की जर्सी नीली है, जबकि प्रैक्टिस जर्सी का रंग भगवा कर दिया गया है। ममता का कहना है कि टीम और खेल को सांप्रदायिक रंग देने के लिए एक योजना के तहत भारतीय क्रिकेट टीम की प्रैक्टिस जर्सी बदल गई है। भारत में क्रिकेट दशकों से बेहद लोकप्रिय है लेकिन पहले कभी इतनी राजनीति नहीं हुई। क्या इसका कारण मौजूदा सचिव जय शाह हैं? कुछ भी हो रहा है तो भाजपा विरोधी पार्टियां उनको और उनके बहाने दूसरी चीजों को निशाना बना रही है।