विपक्षी गठबंधन में शामिल पार्टियों के नेता ही यह सवाल उठा रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि गठबंधन के घटक दलों की बैठक होनी चाहिए। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की कोई बैठक नहीं हुई है, जबकि पिछले साल जब से इसका गठन हुआ कम से कम चार बैठकें हुईं। पटना से लेकर बेंगलुरू, मुंबई और फिर दिल्ली में गठबंधन के नेता मिले। बेहतर तालमेल के लिए लगातार बैठकें हो रही थीं। मुंबई की बैठक में एक समन्वय समिति का गठन भी किया गया था, जिसमें 14 सदस्य थे। एक बार दिल्ली में शरद पवार के आवास पर इस समन्वय समिति की बैठक भी हुई थी। लेकिन उसके बाद फिर उसकी बैठक नहीं हुई। उसके बाद विपक्षी गठबंधन की एक ऑनलाइन बैठक हुई थी, जिसमें इतनी बदमजगी हुई कि नीतीश कुमार छोड़ कर गए थे।
बहरहाल, पिछले महीने अगस्त में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए की बैठक हुई। लोकसभा चुनाव के बाद भी एनडीए का नेता चुनने के लिए सभी पार्टियों की बैठक हुई थी और उसके बाद भी संसद सत्र के दौरान भी एनडीए के सांसदों की बैठक हुई। मानसून सत्र समाप्त होने के बाद 16 अगस्त को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर पर एनडीए की बैठक हुई, जिसमें गठबंधन की सभी पार्टियों के नेता शामिल हुए। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुझाव दिया था कि एनडीए की पार्टियों के बीच बेहतर तालमेल के लिए बैठक होनी चाहिए। तभी कहा जाने लगा था अटल बिहारी वाजपेयी के समय जैसे एनडीए की समन्वय समिति थी वैसे एक समिति बनेगी और हर महीने उसकी बैठक होगी। समिति तो नहीं बनी लेकिन अब देखने होगा कि इस महीने एनडीए की बैठक होती है या नहीं।
बहरहाल, एनडीए की बैठक के बाद से ही विपक्षी गठबंधन की पार्टियां भी कह रही हैं कि ‘इंडिया’ की एक बैठक होनी चाहिए। लोकसभा चुनाव में इस गठबंधन ने बहुत शानदार प्रदर्शन किया। इसे 204 सीटें मिलीं। ममता बनर्जी इस गठबंधन के साथ नहीं लड़ीं थी। उनकी पार्टी को 29 सीटें मिली हैं। सो, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि ममता बनर्जी आधिकारिक रूप से इस गठबंधन का हिस्सा हैं या नहीं। आम आदमी पार्टी के साथ भी इसी तरह का संबंध है लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी किसी तरह से तालमेल बनाए हुए हैं। उनकी पहल पर दोनों पार्टियों के बीच लोकसभा चुनाव के लिए दिल्ली, गुजरात और हरियाणा में तालमेल हुआ था। दोनों पार्टियां पंजाब में अलग लड़ी थीं। अब राज्यों के चुनाव में भी राहुल की पहल पर हरियाणा में दोनों पार्टियों के बीच तालमेल हुआ है।
बहरहाल, पिछले साल विपक्षी गठबंधन में इस बात को लेकर बहुत विवाद हुआ था कि इसका अध्यक्ष और संयोजक कौन होगा। नीतीश कुमार के नाम की बहुत दिन तक चर्चा होती रही। उसके बाद कांग्रेस के सूत्रों के हवाले से ही खबर आई है कि मल्लिकार्जुन खड़गे इसके अध्यक्ष होंगे। लेकिन वह भी घोषणा नहीं हुई। समन्वय समिति का अस्तित्व है या नहीं यह भी पता नहीं है। तभी कई पार्टियां मान रही हैं कि विपक्षी गठबंधन के घटक दलों की बैठक होनी चाहिए और अध्यक्ष, संयोजक आदि का चयन कर लिया जाना चाहिए। पार्टियां चाहती हैं कि सिर्फ संसद में ही नहीं, बल्कि संसद के बाहर और राज्यों के चुनाव में भी पहले से ही यह एकजुटता दिखती रहे।