भारत में क्रिकेट की नई राजधानी के तौर पर उभर रहे अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में शनिवार को एकदिवसीय क्रिकेट के विश्व कप मुकाबले में भारत और पाकिस्तान का मैच खेला गया। सबको पता है कि भारतीयों के लिए विश्व कप जीतने का मतलब पाकिस्तान को हराना होता है। अक्सर यह बात कही जाती है कि भारत का विश्व कप उसी दिन पूरा हो जाता है, जिस दिन पाकिस्तान को हराते हैं। भारत के विश्व कप जीतने पर उतना जश्न नहीं होता है, जितना पाकिस्तान से जीतने पर होता है। तभी भारत और पाकिस्तान के मैच की बड़ी हाइप रहती है। लेकिन सबसे ज्यादा हैरानी की बात यह है कि आतंकवाद के नाम पर भारतीय टीम को पाकिस्तान नहीं भेजने और पाकिस्तानी खिलाड़ियों को आईपीएल में नहीं शामिल करने वाली भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने इस मैच में बड़ा भारी तमाशा किया। ध्यान रहे केंद्रीय गृह मंत्री अमित के बेटे जय शाह बीसीसीआई के सचिव हैं।
बहरहाल, तमाशे की शुरुआत पाकिस्तानी टीम के अहमदाबाद पहुंचने से हुई। हवाईअड्डे से लेकर होटल तक उनका जैसा स्वागत हुआ वह अभूतपूर्व था। उनको पटका पहनाया गया, उन पर फूलों की बारिश हुई और उनके स्वागत में युवतियों का पारंपरिक नृत्य हुआ। मैच से पहले स्टेडियम में गाने-बजाने का बड़ा कार्यक्रम हुआ, जिसमें बॉलीवुड के ए ग्रेड के स्टार अरिजीत सिंह, सुनिधि चौहान, सुखविंदर सिंह आदि के कार्यक्रम हुए। अमित शाह सहित राजनीति, फिल्म और खेल जगत की अनेक हस्तियां मैच देखने पहुंचीं। सोचें, उद्घाटन मैच भी नरेंद्र मोदी स्टेडियम में हुआ था लेकिन उस दिन कोई कार्यक्रम नहीं हुआ, लेकिन पाकिस्तान से मैच के दिए रंगारंग कार्यक्रम हुए। सवाल है कि उद्घाटन मैच की बजाय भारत-पाकिस्तान मैच में इस किस्म के कार्यक्रम का क्या मतलब था? दूसरे मैचों से पहले ऐसे कार्यक्रम क्यों नहीं हो रहे हैं? क्या इसके पीछे कोई राजनीतिक कारण है? जो हो लेकिन बीसीसीआई ने एक गलत परंपरा शुरू की है।