sarvjan pention yojna
maiya samman yatra

जम्मू कश्मीर में बाहरी, भीतरी का विमर्श

जम्मू कश्मीर में बाहरी, भीतरी का विमर्श

Image Source: ANI

कांग्रेस नेता राहुल गांधी अब चुनाव जीतने के लिए उसी तरह से कोई भी मुद्दा उठाने लगे हैं, जैसे भाजपा का मौजूदा नेतृत्व उठाता है या प्रादेशिक पार्टियों के नेता उठाते हैं। जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह या भाजपा के किसी और नेता को सांप्रदायिक नैरेटिव बनाने में परेशानी नहीं होती है या ममता बनर्जी को बांग्ला अस्मिता का मुद्दा बनाने में परेशानी नहीं हुई वैसे ही राहुल गांधी को विभाजनकारी मुद्दे उठाने में परेशानी नहीं रह गई है। तभी उन्होंने जम्मू कश्मीर में बाहरी और भीतरी का मुद्दा उठाया। राहुल ने कहा कि राज्य के लोगों की जगह बाहरी लोग उनके बारे में फैसला कर रहे हैं। सोचें, किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने की स्थिति में कहां का आदमी फैसला करता है? राहुल राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने या राज्य का दर्जा छीनने का विरोध कर रहे हैं वह अपनी जगह ठीक है लेकिन इस बहाने बाहरी और भीतरी का नैरेटिव बनाने की जरुरत नहीं है।

ध्यान रहे जम्मू कश्मीर में कोई पहली बार राष्ट्रपति शासन नहीं लगा है। कांग्रेस की सरकारों में भी अक्सर राष्ट्रपति शासन लगा होता था। अब भी लगातार सबसे लंबे समय तक राष्ट्रपति शासन का रिकॉर्ड 1990 से 1996 का है। छह साल 264 दिन लगातार राष्ट्रपति शासन लगा रहा था, जिसमें पांच साल कांग्रेस के राज का था और डेढ़ साल से कुछ ज्यादा कांग्रेस समर्थित सरकार का था। तब भी तो सारे फैसले दिल्ली से होते थे। राहुल गांधी के सक्रिय राजनीति में आने के बाद भी 2008 में जब पीडीपी की सरकार ने गुलाम नबी आजाद की सरकार से समर्थन वापस ले लिया था तब करीब छह महीने तक राष्ट्रपति शासन लगा रहा था। जम्मू कश्मीर के अलावा देश के दूसरे राज्यों में भी कांग्रेस राज के समय बात बात में राष्ट्रपति शासन लगा दिया था। मिसाल के तौर पर झारखंड में जनवरी 2009 से लेकर जुलाई 2013 के साढ़े चार साल में करीब दो साल तक कांग्रेस ने राष्ट्रपति शासन लगा रखा था और सारे फैसले दिल्ली से कथित बाहरी लोग कर रहे थे।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें