प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अरसे बाद चुनावी भाषण देने के लिए मैदान में उतरे हैं। लोकसभा का चुनाव संपन्न होने के बाद पहली बार प्रधानमंत्री ने हरियाणा के कुरुक्षेत्र और जम्मू कश्मीर के डोडा में चुनावी रैली को संबोधित किया। उम्मीद की जा रही थी कि प्रधानमंत्री लोकसभा चुनाव में दिए गए भाषणों से आगे बढ़ेंगे और कुछ नई बातें कहेंगे। गठबंधन की सरकार चलाने के अपने अनुभव के बारे में बताएंगे और इन दो राज्यों के विकास का कोई रोडमैप पेश करेंगे। लेकिन उनका भाषण मोटे तौर पर अखबारों में पिछले कुछ दिनों में छपी खबरों पर प्रतिक्रिया देने वाला था या विपक्षी नेताओं के भाषणों में उठाई बातों का जवाब देते हुए उनके ऊपर पलटवार करने वाला था।
जैसे प्रधानमंत्री की रैली के दिन यानी शनिवार को ही एक खबर आई कि अमेरिका में भारतीय मूल के एक पत्रकार के साथ कांग्रेस के लोगों ने बदसलूकी की। वह पत्रकार ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा का इंटरव्यू करने गए थे। हालांकि बदसलूकी के वक्त वहां पित्रोदा नहीं थे और राहुल गांधी ने उस शहर में ही नहीं पहुंचे थे। लेकिन प्रधानमंत्री ने इस खबर को अपने भाषण का मुद्दा बनाया और कहा कि अमेरिका में भारत के बेटे के साथ बदसलूकी हुई। कांग्रेस पर हमला करने के लिए बहुत से मुद्दे हैं, लेकिन क्या यह ऐसा मुद्दा था, जिस पर प्रधानमंत्री हरियाणा की सभा में कांग्रेस पर हमला करें?
इसी तरह प्रधानमंत्री के भाषण में यह बात प्रमुखता से आई कि अब तो गणपति को भी सलाखों को पीछे डाल दिया जा रहा है। उन्होंने मीडिया में आई कर्नाटक की एक घटना को आधार बना कर यह बात कही। असल में कर्नाटक के मांड्या में गणपति विसर्जन के दौरान दो समुदायों में झगड़ा हो गया। इस घटना के विरोध में विश्व हिंदू परिषद के लोग गणपति की मूर्ति लेकर टाउन हॉल में प्रदर्शन करने पहुंच गए। वहां प्रदर्शन की इजाजत नहीं थी तो पुलिस ने मूर्ति जब्त करके पुलिस वैन में रख दी। इस घटना को प्रधानमंत्री ने इस तरह से पेश किया, जैसे कांग्रेस की सरकार गणपति को गिरफ्तार कर रही है और सलाखों को पीछे डाल रही है।
प्रधानमंत्री ने राहुल गांधी के अमेरिका में दिए भाषण का भी मुद्दा बनाया और कहा कि कांग्रेस का शाही परिवार दलित, पिछड़ों का आरक्षण खत्म करने जा रहा है। हालांकि राहुल के कहने का मतलब इसका बिल्कुल उलटा था। उनसे पूछा गया था कि भारत मे आरक्षण कब खत्म होगा तो उन्होंने कहा कि जब समानता आ जाएगी और सबको समान अवसर उपलब्ध हो जाएंगे, तब आरक्षण खत्म होगा। इसका सीधा मतलब है कि आरक्षण कभी खत्म नहीं होगा। लेकिन भाजपा को लगा कि राहुल ने ‘आरक्षण’ और ‘खत्म’ दोनों शब्द बोलें हैं तो कहा जाए कि वे आरक्षण खत्म करना चाहते हैं। इसी तरह मल्लिकार्जुन खड़गे ने जम्मू कश्मीर में कहा था कि विपक्ष को 20 सीटें और आ जातीं तो भाजपा के सारे नेता जेल में होते। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में इस पर भी पलटवार किया।