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अकेले जयंत सिन्हा को नोटिस क्यों?

Jayant Sinha Announced Not To Contest Lok Sabha Elections

झारखंड में हजारीबाग के पूर्व सांसद जयंत सिन्हा को भाजपा की ओर से एक कारण बताओ  नोटिस जारी किया गया है। पार्टी के महासचिव आदित्य साहू ने उनको चिट्ठी लिख कर कहा है कि वे एक भी दिन पार्टी के लिए प्रचार करने नहीं गए और यहां तक कि अपना वोट भी नहीं डाला। इसका उनसे जवाब मांगा गया है। सवाल है कि जयंत सिन्हा को क्यों अपवाद बनाया गया? देश के अनेक राज्यों में भाजपा ने अपने सांसदों की टिकट काटी है, जिनमें से कई बागी होकर दूसरी पार्टियों से चुनाव लड़े। कई लोग चुपचाप घर बैठ गए। कई लोग भितरघात कर रहे हैं और कई लोगों ने टिकट कटने के बावजूद पार्टी के नए उम्मीदवार के लिए प्रचार किया। जो लोग घर बैठ गए या भितरघात कर रहे हैं उनमें से किसी को नोटिस जारी नहीं हुआ। जयंत सिन्हा अपवाद हैं।

ऐसा लग रहा है कि जयंत सिन्हा को नोटिस भेजना विशुद्ध रूप से प्रदेश कमेटी का फैसला है। यह पार्टी की नीति का मामला होता तो बिहार में अश्विनी चौबे और रमा देवी को भी नोटिस भेजा जाता। सबको पता है कि इन दोनों निवर्तमान सांसदों ने टिकट कटने के बाद खुल कर अपनी नाराजगी जाहिर की। अश्विनी चौबे के समर्थक बक्सर में पार्टी के उम्मीदवार मिथिलेश तिवारी की जगह निर्दलीय पूर्व आईपीएस अधिकारी आनंद मिश्रा का समर्थन कर रहे हैं तो शिवहर मे रमा देवी के समर्थक राजद की वैश्य उम्मीदवार रितू जायसवाल का समर्थन कर रहे हैं। ये दोनों नेता भाजपा के आधिकारिक उम्मीदवार का समर्थन तो नहीं ही कर रहे हैं, उलटे इनकी मौन सहमति से इनके समर्थक भाजपा का विरोध कर रहे हैं। पर पार्टी की ओर से न तो अश्विनी चौबे को नोटिस जारी हुआ है और न रमा देवी। रमा देवी की बेटी तो पूर्वी चंपारण सीट पर विपक्षी गठबंधन की टिकट की दावेदारी भी कर रही थीं।

बहरहाल, जयंत सिन्हा को नोटिस करने का एक कारण यह समझ में आता है कि हजारीबाग से मनीष जायसवाल को टिकट दिया गया है, जिनको मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी का बेहद करीबी माना जाता है। उनके पिता बादल जायसवाल पहले मरांडी की पार्टी के कोषाध्यक्ष रहे हैं। वहां भाजपा से पाला बदल कर कांग्रेस में गए जेपी पटेल को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया था, जो मजबूती से चुनाव लड़े हैं। ऊपर से जयंत सिन्हा के पिता यशवंत सिन्हा ने हजारीबाग में बैठ कर विपक्षी गठबंधन के उम्मीदवार की मदद की। उन्होंने ट्विट करके बताया भी था कि भाजपा के उम्मीदवार मनीष जायसवाल के बेटे करण जायसवाल ने तीन साल पहले चार करोड़ रुपए का इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदा था। उन्होंने इशारा किया था कि इसी वजह से उनको टिकट मिली है। तभी जयंत सिन्हा को निशाना बनाया गया है। वैसे झारखंड या दूसरी जगहों पर भाजपा ने जिन सांसदों की टिकट काटी उनमें से ज्यादातर ने पार्टी के लिए प्रचार किया। दिल्ली रमेश विधूड़ी और प्रवेश वर्मा दोनों प्रचार में पसीना बहा रहे हैं तो उत्तर प्रदेश में जनरल बीके सिंह भी खूब प्रचार कर रहे हैं। झारखंड में सुनील सिंह टिकट कटने के बावजूद पार्टी के लिए प्रचार कर रहे हैं।

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