महाराष्ट्र के बाद बिहार की तरह झारखंड भाजपा के नेताओं की भी उम्मीद बढ़ी है। भाजपा के एक जानकार नेता का कहना था कि महाराष्ट्र में दो दो दिग्गज नेताओं की पार्टियां टूट गईं तो क्या झारखंड में एक भी नहीं टूट सकती है? सवाल बहुत जायज है। ऐसा क्या है कि एक के बाद एक राज्यों में कांग्रेस पार्टी या कोई क्षेत्रीय पार्टी टूट जा रही है लेकिन झारखंड में कितने प्रयास के बावजूद कुछ नहीं हुआ? क्या भाजपा आलाकमान को वहां यथास्थिति बनाए रखनी है इसलिए कुछ नहीं हो रहा है या प्रयास करने के बावजूद कामयाबी नहीं मिल पा रही है? किसी के पास इसका जवाब नहीं है।
लेकिन अब भाजपा के नेता इस उम्मीद में हैं कि झारखंड में भी ऑपरेशन लोटस होगा। इसके पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि अगर विपक्षी पार्टियों का गठबंधन बनने से पहले उसे कमजोर करना है तो झारखंड में सत्तारूढ़ गठबंधन को कमजोर करना होगा। ध्यान रहे इससे पहले कई बार कांग्रेस विधायकों को तोड़ने की खबर आई थी। कांग्रेस के तीन विधायक नकदी के साथ पश्चिम बंगाल में पकड़े भी गए और कई दिन जेल में रहे। इसका मतलब है कि कुछ न कुछ प्रयास हुआ लेकिन कामयाबी नहीं मिली।