भारत के 2014 में आजाद होने का बयान देने वाली फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत अब भाजपा की सांसद हो गई हैं। सांसद बनने के बाद भी इस तरह के बयानों का उनका सिलसिला खत्म नहीं हुआ है। उन्होंने एक इंटरव्यू में फिर से किसान आंदोलन का मुद्दा उठाया और कहा कि किसान आंदोलन के पीछे गहरी साजिश थी। उन्होंने कहा कि उस समय बड़ी तैयारी थी और अगर सरकार कमजोर होती तो पंजाब में बांग्लादेश जैसे हालात हो जाते। यह बहुत गैरजिम्मेदार बयान है, जिससे भाजपा ने अपने को अलग कर लिया है और विपक्षी पार्टियों ने कार्रवाई की मांग की है। कंगना ने किसान आंदोलन को लेकर और भी कई आपत्तिजनक बातें कही हैं, जिनका असर हरियाणा के विधानसभा चुनाव में दिख सकता है।
हरियाणा में चुनाव की घोषणा हो गई है और अगर चुनाव आयोग तारीख नहीं बदले तो एक अक्टूबर को मतदान होगा। ध्यान रहे किसान आंदोलन में सबसे ज्यादा पंजाब और हरियाणा के किसान शामिल थे। इसमें संदेह नहीं है कि किसान आंदोलन में जाट सिख और जाटों का बहुतायत थी लेकिन दूसरे सिख और पिछड़ी व दलित समूहों की भी बड़ी भागीदारी उस आंदोलन में थी। कंगना रनौत ने आंदोलन के बारे में जो बातें कही हैं उससे हरियाणा में भाजपा का जाति समीकरण बिगड़ सकता है। उसने जाट बनाम गैर जाट की राजनीति बनाने की कोशिश की है लेकिन चुनाव किसान बनाम गैर किसान का हो सकता है, जिसका नुकसान भाजपा को उठाना पड़ सकता है।