कर्नाटक में सोमवार से विधानसभा का सत्र शुरू होने वाला है और अभी तक भाजपा ने विधायक दल के नेता नहीं चुना है। इसी तरह अगले महीने यानी अगस्त में प्रदेश अध्यक्ष नलिन कुमार कतील का एक साल का विस्तारित कार्यकाल भी खत्म हो रहा है। तभी कहा जा रहा है कि भाजपा एक साथ विधायक दल का नेता और प्रदेश अध्यक्ष दोनों तय करेगी। भाजपा के जानकार सूत्रों का कहना है कि पार्टी के प्रदेश के सबसे बड़े नेता बीएस येदियुरप्पा के हिसाब से सभी पदों पर नियुक्ति होगी। असल में प्रदेश में भाजपा की राजनीति पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा और पार्टी के संगठन महासचिव बीएल संतोष के बीच खींचतान की वजह से बहुत प्रभावित हुई है। आगे वाली नियुक्तियों में भी इसका असर दिखेगा।
पहले कहा जा रहा था कि पार्टी के मजबूत नेता बसवराज पाटिल यतनाल को विधायक दल का नेता बनाया जाएगा। लेकिन वे संतोष खेमे के माने जाते हैं इसलिए येदियुरप्पा ने विरोध किया। संतोष कुमार करकाला का नाम भी इसी वजह से छोड़ा गया। सो, अंत में पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के नाम पर सहमति बनती लग रही है। हालांकि कर्नाटक में भाजपा की हार का मुख्य कारण उनको माना जा रहा है फिर भी लिंगायत होने की वजह से येदियुरप्पा उनका विरोध नहीं कर रहे हैं। अगर उनको विधायक दल का नेता बनाया जाता है तो येदियुरप्पा की करीबी शोभा करंदलाजे को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है। इसके लिए उनको केंद्र सरकार में मंत्री पद छोड़ना पड़ेगा। पिछड़ी जाति से आने वाले कोटा श्रीनिवास पुजारी को विधान परिषद में पार्टी का नेता बनाया जा सकता है।