भाजपा को एक साथ पांच राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों की घोषणा करनी थी लेकिन कर्नाटक का मामला उलझा रह गया। मंगलवार को कर्नाटक के नामों की घोषणा नहीं हुई। बताया जा रहा है कि बीएस येदियुरप्पा और बीएल संतोष के बीच की खींचतान के कारण फैसला नहीं हो सका। राज्य में एक साथ दो फैसले होने हैं। विधायक दल का नेता तय करना है और प्रदेश अध्यक्ष भी नियुक्त किया जाना है। इसके साथ ही विधान परिषद में भी नेता तय करना है। ये तीनों फैसले अटके रहे। बिना नेता प्रतिपक्ष के ही भाजपा विधानसभा सत्र में हिस्सा ले रही है। पहले यह लगभग तय माना जा रहा था कि बसवराज बोम्मई के नेता विपक्ष बनाया जाएगा और येदियुरप्पा की करीबी शोभा करंदलाजे को प्रदेश की जिम्मेदारी मिलेगी।
अब भी कहा जा रहा है कि यह फैसला लगभग तय है लेकिन येदियुरप्पा विरोधी खेमा प्रदेश अध्यक्ष के लिए शोभा करंदलाजे के नाम का विरोध कर रहा है। तभी अचानक अश्वथ नारायण का नाम भी चर्चा में आया। हालांकि इसके बावजूद कहा जा रहा है कि जल्दी ही पार्टी तीनों पदों के लिए नाम की घोषणा करेगी। कर्नाटक में भाजपा के चुनाव हारने के बाद जिस तरह से येदियुरप्पा सक्रिय हुए हैं उससे यह अंदाजा है कि राज्य में फैसला उनके हिसाब से होगा। जानकार सूत्रों के मुताबिक पार्टी के आला नेता इस समय कोई जोखिम नहीं ले सकते हैं। लोकसभा चुनाव तक तो उनके हिसाब से निश्चित रूप से काम होगा क्योंकि पार्टी को अपनी 26 लोकसभा सीटों की चिंता है।