कांग्रेस के अंदरूनी समीकरण में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया थोड़े कमजोर पड़ रहे थे। उनकी पत्नी की ऊपर मैसुरू शहरी विकास प्राधिकरण की जमीन में घोटाले के आरोप लगने के बाद वे कमजोर हुए थे। इस बात की चर्चा शुरू हो गई थी कि मुख्यमंत्री बदला जा सकता है। लेकिन अब वे फिर से अपनी स्थिति मजबूत करने में लगे हैं। जमीन घोटाले की जांच चल रही है लेकिन सिद्धारमैया पिछड़ी जाति के विधायकों को अपने पीछे एकजुट कर रहे हैं। उनके साथ साथ वे एससी और एसटी समुदाय के विधायकों और मुस्लिम नेताओं को भी साथ जोड़ रहे हैं। असल में कर्नाटक में यही कांग्रेस का सामाजिक समीकरण है। ‘अहिंदा’ समीकरण में ओबीसी, एससी, एसटी और मुस्लिम मुख्य हैं। सिद्धारमैया खुद पिछड़ी जाति के कुरूबा समुदाय से आते हैं। पिछले चुनाव में ओबीसी का एकमुश्त वोट कांग्रेस को मिला था, लेकिन जीत सुनिश्चित करने वाला वोट वोक्कालिगा का था, जिसके नेता उप मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार हैं।
सिद्धारमैया की सत्ता को डीके शिवकुमार से चुनौती है। वे हर लिहाज से मजबूत नेता हैं और इस बार कांग्रेस की जीत के बाद ज्यादा ताकतवर होकर उभरे हैं। पार्टी आलाकमान ने उनको मुख्यमंत्री के साथ साथ प्रदेश अध्यक्ष भी बनाए रखा है। इस समय वे परिवार के साथ नए साल की छुट्टी मनाने के लिए तुर्किए में थे और उसी समय सिद्धारमैया सरकार के मंत्री सतीश जरकिहोली के घर पर डिनर पार्टी हुई, जिसमें मुख्यमंत्री शामिल हुए। ध्यान रहे सतीश जरकिहोली पिछड़ी जाति से आते हैं और शिवकुमार के विरोधी माने जाते हैं। जरकिहोली परिवार के पांच सदस्य कांग्रेस और भाजपा से विधायक या विधान पार्षद हैं। उन्होंने पूरी ताकत सिद्धारमैया के पीछे लगाई है। इससे पहले पिछले साल कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जी परमेश्वरा के घर पर ऐसी ही डिनर पार्टी हुई थी और उसमें भी मुख्यमंत्री शामिल हुए थे। परमेश्वरा दलित समुदाय से आते हैं। बहरहाल, शिवकुमार के देश से बाहर होने के बीच मुख्यमंत्री के अपने मंत्रियों और विधायकों के साथ डिनर डिप्लोमेसी करने की कर्नाटक की राजनीति में बड़ी चर्चा है।