कर्नाटक के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार इस बार आर या पार की लड़ाई के मूड में हैं। इसका संकेत उन्होंने एक पुराने कांग्रेस नेता के साथ बातचीत में दिया, जिनके साथ उनके संबंध 40 साल के हैं। उनके पुराने साथी ने उनसे पूछा कि वे मुख्यमंत्री बनने की अपनी मांग को किस हद तक ले जाएंगे। इसके जवाब में डीकेएस ने कहा कि इस बार लड़ाई निर्णायक होगी। दिलचस्प बात यह है कि डीके शिवकुमार इस बार अपनी मांग को सिर्फ निजी नहीं बता रहे हैं, बल्कि उनका कहना है कि पूरे कर्नाटक में सिद्धारमैया को लेकर नाराजगी है और अगर उनको नहीं हटाया गया तो कांग्रेस को अगले चुनाव में भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। छत्तीसगढ़ में इसी तरह का विवाद भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के बीच हुआ था और सत्ता परिवर्तन नहीं होने का भारी नुकसान कांग्रेस को हुआ। कांग्रेस ने 2018 में जीती 68 में से 33 सीटें गंवा दी। वह 35 सीटों पर सिमट गई।
इसी तरह का नुकसान शिवकुमार कर्नाटक में भी बता रहें हैं। उनका कहना है कि व्यापक हिंदू समाज भाजपा के साथ एकजुट हो रहा है। छत्तीसगढ़ में ऐसा ही हुआ था। कांग्रेस के वोट में एक फीसदी की कमी आई थी लेकिन भाजपा का वोट 14 फीसदी बढ़ा था, जिससे उसको 2018 के मुकाबले 39 सीटें ज्यादा मिलीं। सोनिया और राहुल गांधी कर्नाटक का फैसला करने में जितनी देरी करेंगे, नुकसान उतना ज्यादा होगा। ध्यान रहे पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कह दिया है कि उनके पास कहने को कुछ नहीं है और पार्टी आलाकमान फैसला करेगा। वे कांग्रेस अध्यक्ष हैं और इस नाते खुद आलाकमान हैं। लेकिन उनका इशारा असली आलाकमान यानी सोनिया और राहुल गांधी की ओर था। तभी इसके भी मायने निकाले जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि खड़गे खुद दावेदार हैं। ध्यान रहे उनकी दिली तमन्ना कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनने की रही है। बहरहाल, एक खबर यह भी है कि आलाकमान संतुलन के लिए सिद्धारमैया और शिवकुमार दोनों की बजाय किसी तीसरे नेता को कमान देने के लिए इन दोनों को मनाने में लगा है।
