कर्नाटक में चुनाव हारने के बाद भाजपा की गाड़ी एक इंच आगे नहीं बढ़ी है। विधानसभा चुनाव के नतीजे 10 मई को आए थे और भारी बहुमत के साथ कांग्रेस की सरकार बनी थी। लेकिन भाजपा आजतक अपने विधायक दल का नेता नहीं तय कर पाई है। पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई सबसे प्रबल दावेदार बताए जा रहे हैं लेकिन फैसला नहीं हो पा रहा है। और इसी वजह से प्रदेश अध्यक्ष के नाम की भी घोषणा नहीं हो पा रही है। ध्यान रहे नलिन कुमार कतिल का तीन साल का कार्यकाल पिछले साल अगस्त में समाप्त हो गया था। उसके बाद उनको एक साल का विस्तार मिला था और वह भी अगस्त में समाप्त हो गया। लेकिन भाजपा ने नेता प्रतिपक्ष चुन सकी और न प्रदेश अध्यक्ष।
इसका कारण यह है कि जातीय और सामाजिक समीकरण बनाने के लिए यह जरूरी है कि अगर विधायक दल का नेता लिंगायत समुदाय का हो तो प्रदेश अध्यक्ष वोक्कालिगा या ओबीसी समुदाय का बने। बताया जा रहा है कि भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा अपने विधायक बेटे बीवाई विजयेंद्र को प्रदेश अध्यक्ष बनवाना चाहते हैं। पहले यह खबर आई थी कि पार्टी आलाकमान चाहता है कि बोम्मई विधायक दल के नेता बनें। बोम्मई लिंगायत समुदाय से आते हैं। अगर वे नेता विपक्ष बनते हैं तो प्रदेश अध्यक्ष लिंगायत नहीं बनेगा। चूंकि येदियुरप्पा अपने बेटे के लिए अड़े हैं इसलिए मामला टल रहा है। येदियुरप्पा यह भी नहीं चाहते हैं कि भाजपा के महासचिव रहे सीटी रवि को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए। सो, भाजपा आलकमान संतुलन बनाने के प्रयास में लगा है। सूत्रों के मुताबिक बोम्मई के नाम पर उनको तैयार किया जा रहा है। बोम्मई अगर नेता विपक्ष बन जाते हैं तो विजयेंद्र को अध्यक्ष बनने के लिए इंतजार करना होगा।