गुरुवार का दिन बहुत अहम दिख रहा है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि वह जम्मू कश्मीर में चुनाव कराने और उसका पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के बारे में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में जानकारी देगी। मंगलवार को अनुच्छेद 370 पर सुनवाई के दौरान जब पांच जजों की संविधान पीठ के प्रमुख चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि जम्मू कश्मीर में कब तक लोकतंत्र की बहाली होगी और उसका राज्य का दर्जा बहाल होगा तो केंद्र सरकार की ओर सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा पहले तो कहा कि उसके लिए काम हो रहा है लेकिन जब चीफ जस्टिस ने जोर दिया कि क्या सरकार के पास कोई टाइमलाइन है तो मेहता ने कहा कि वे निर्णायक रूप से इस बारे में गुरुवार को बताएंगे। तभी सवाल है कि केंद्र सरकार गुरुवार को कोई टाइमलाइन पेश करेगी?
ध्यान रहे राज्य में चुनी हुई विधानसभा नवंबर 2018 में भंग कर दी गई थी, जबकि उसका कार्यकाल दो साल बचा हुआ था और कांग्रेस, पीडीपी व नेशनल कांफ्रेंस ने साझा सरकार बनाने की पहल की थी। लेकिन जब के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के राजभवन में फैक्स मशीन खराब हो गई थी और इन तीनों पार्टियों का पत्र उनको नहीं मिला था। फिर उनकी सिफारिश पर राज्यपाल शासन लग गया। इसके बाद अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 खत्म करके राज्य का बंटवारा कर दिया गया। लद्दाख अलग केंद्र शासित प्रदेश हो गया और जम्मू कश्मीर अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गया।
राज्य में विधानसभा भंग हुए पांच साल और उसे केंद्र शासित प्रदेश बनाए चार साल हो गए। इस बीच परिसीमन कराया गया, विधानसभा सीटों की संख्या बढ़ी, आरक्षित सीटें बढ़ीं, कश्मीरी पंडितों के लिए आरक्षण हुआ, मतदाता सूची का पुनरीक्षण हुआ लेकिन चुनाव की घोषणा नहीं हुई। तभी सरकार की मंशा पर संदेह होता है। ऐसा लग रहा है कि भाजपा जब तक अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नहीं होगी या ऐसा समीकरण नहीं बना लेगी कि वह मुस्लिम बहुल इस राज्य में हिंदू मुख्यमंत्री बना सके तब तक चुनाव नहीं होंगे।