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स्टालिन का तमिल अस्मिता का दांव

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार के खिलाफ नया मोर्चा खोला है। हिंदी भाषा और सनातन विवाद के बाद अब उन्होंने किलाडी की खुदाई के बहाने तमिल को सिंधु घाटी और वैदिक सभ्यता के समकालीन या प्राचीन दिखाने का दांव चला है। असल में किलाडी में हो रही खुदाई में ऐसे सबूत मिलते हैं, जिनसे वहां कोई 26 सौ साल पहले नगरीय सभ्यता का अस्तित्व प्रमाणित होता है। स्टालिन का दावा है कि खुदाई में इसकी प्राचीनता स्थापित हो गई है लेकिन भारत सरकार जान बूझकर इसके निष्कर्षों को स्वीकार नहीं कर रही है और आगे की खुदाई के रास्ते में बाधा डाल रही है।

इस खुदाई से संगम युग का कालखंड पहले से स्थापित अवधि से तीन सौ साल पीछे जाता है। तमिलनाडु सरकार आरोप लगा रही है भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग आगे की खुदाई में अड़ंगा डाल रहा है। हालांकि केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिल भाषा को सबसे प्राचीन और समृद्ध बता चुके हैं। लेकिन शेखावत भी किलाडी की खुदाई के निष्कर्षों को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि इस मामले में और दस्तावेजों और प्रमाणों की जरुरत है। अभी जो प्रमाण मिले हैं उनसे अंतिम तौर पर किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता है। दूसरी ओर स्टालिन इन प्रमाणों को अकाट्य मान कर तमिल सभ्यता की श्रेष्ठता का दावा कर रहे हैं।

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