लोकसभा चुनाव 2024 के सातवें और आखिरी चरण के मतदान के दिन आए एक्जिट पोल के नतीजों ने असली नतीजों का सस्पेंस खत्म कर दिया है। पिछले कई चुनावों में आमतौर पर एक्जिट पोल का अनुमान सही साबित हुआ है। संख्या भले पूरी तरह से सही नहीं हो लेकिन उससे नतीजों की दिशा का अनुमान लग जाता है। सो, विपक्षी पार्टियां भले अभी बहादुरी दिखा रही हैं लेकिन उनको नतीजों का अहसास हो गया है। तभी रविवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का एक बयान आया, जिसमें उन्होंने कहा कि एनडीए चार सौ पार नहीं करने जा रहा है। पहले कहा जा रहा था कि एनडीए तीन सौ पार नहीं करने जा रहा है और भाजपा दो सौ पार नहीं करेगी। तभी नतीजों का सस्पेंस खत्म होने के बाद अब नई सरकार के गठन को लेकर चर्चा होने लगी है।
इस बात की चर्चा तो हो रही है कि भाजपा जीती तो नरेंद्र मोदी किस दिन शपथ लेंगे और क्या इस बार वे कर्तव्य पथ पर शपथ लेंगे? लेकिन इसके साथ साथ नए मंत्रियों के नामों की चर्चा भी होने लगी है और यह भी पूछा जाने लगा है कि पुराने मंत्रियों का क्या होगा? क्या टॉप पांच में वहीं मंत्री लौटेंगे या नए चेहरे होंगे? ध्यान रहे नरेंद्र मोदी की दूसरी सरकार में चेहरे बदल गए थे। अरुण जेटली और सुषमा स्वराज दोनों नहीं लौटे थे और राजनाथ सिंह का मंत्रालय बदल गया था। वे गृह से रक्षा में गए थे और गृह मंत्री के रूप में अमित शाह की एंट्री हुई थी। तभी सबकी नजर इस पर है कि क्या इस बार राजनाथ सिंह, अमित शाह, एस जयशंकर और निर्मला सीतारमण फिर अपनी पुरानी पोजिशन में लौटते हैं या नहीं?
सबसे दिलचस्प बात यह है कि नरेंद्र मोदी की सरकार में जितने पुराने मंत्री हैं। खासकर ऐसे मंत्री, जो उनकी पहली सरकार में भी थे और दूसरी सरकार में भी रहे उनकी चिंता बढ़ी हुई है। उनको लग रहा है कि तीसरा कार्यकाल उनके लिए शायद लकी नहीं रहे। इन मंत्रियों के साथ साथ इनके निजी स्टाफ की भी चिंता बढ़ी है। वे इधर उधर पूछते फिर रहे हैं उनके मंत्रीजी को मौका मिलेगा या नहीं। गुजरात मॉडल की अलग चर्चा हो रही है। कहा जा रहा है कि जैसे मोदीजी गुजरात में एक झटके में सारे मंत्रियों को बदल देते हैं क्या वैसा कुछ दिल्ली में भी हो सकता है। जैसे राजस्थान, मध्य प्रदेश में चौथी कतार में बैठने वालों को सीएम बनाया गया क्या उसी तरह केंद्र में भी बिल्कुल नए और गुमनाम चेहरों को आगे किया जाएगा? इन सब सवालों के जवाब किसी के पास नहीं है। तभी सब यह कहते हुए बात समाप्त कर रहे हैं कि जो करेंगे मोदी करेंगे, फिर क्यों सिर खपाना।