विपक्षी पार्टियां हल्ला बनवा रही हैं कि लोकसभा चुनाव समय से पहले हो सकता है। विपक्ष को एकजुट करने में लगे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल में दो बार यह बात कही है। उन्होंने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी विपक्षी एकता से घबराई हुई है और इसलिए वह समय से पहले चुनाव करा सकती है। विपक्षी पार्टियों की ओर से साल के अंत की टाइमलाइन भी दी गई। कहा गया कि इस साल के अंत में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं उनके साथ ही लोकसभा का चुनाव भी हो सकता है।
लेकिन यह विशुद्ध रूप से एक मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने वाली बात है, इसके पीछे कोई ठोस राजनीतिक कारण नहीं है। सबको पता है कि एक बार अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कुछ मंत्रियों और पार्टी के नेताओं के आति आत्मविश्वास की वजह से 2004 में समय से छह महीने पहले चुनाव करा लिया था और सब कुछ ठीक होने की धारणा के बावजूद पार्टी हार गई थी। उस समय अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी की भाजपा ‘शाइनिंग इंडिया’ और ‘फीलगुड’ के नारे पर चुनाव लड़ी थी। वैसी गलती नरेंद्र मोदी और अमित शाह की भाजपा भी करेगी, यह नहीं सोचा जा सकता है।
इसके अलावा लोकसभा के चुनाव को राज्यों के चुनाव के साथ नहीं जोड़ने का बड़ा ठोस कारण यह है कि मोदी और शाह राज्यों की एंटी इन्कम्बैंसी से परिचित हैं और यह कतई नहीं चाहेंगे कि उसका असर लोकसभा चुनाव के ऊपर आए। यह आमतौर पर कहा जाता है कि अगर लोकसभा चुनाव के साथ राज्यों के चुनाव हों तो मोदी के नाम पर राज्यों में भी भाजपा का बेड़ा पार लग जाएगा। लेकिन इसका उलटा भी हो सकता है। राज्यों की भाजपा सरकारों और प्रदेश नेतृत्व की नाराजगी का असर लोकसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है। चौबेजी छब्बजे बनने जाएं तो दुबेजी भी बन जाने का खतरा है। इसलिए भाजपा के असर वाले या भाजपा के शासन वाले किसी राज्य का चुनाव लोकसभा के साथ नहीं होता है और आगे भी नहीं होगा।
दूसरा बड़ा कारण राममंदिर निर्माण का है। पहले ही कहा जा चुका है कि 28 दिसंबर से 26 जनवरी के बीच राम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी। उस मौके पर सात दिन का उत्सव चलेगा और देश भर के साधु संत अयोध्या बुलाए जाएंगे। पिछले दिनों किसानों के एक कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्राण प्रतिष्ठा के लिए 22 जनवरी की तारीख भी बताई। अयोध्या में राममंदिर निर्माण भाजपा के सबसे बड़े एजेंडे का पूरा होना है। उसके नाम पर भाजपा वोट मांगेगी। इसलिए उससे पहले चुनाव का सवाल ही नहीं उठता है। सो, विपक्षी पार्टियां कुछ भी कहें लोकसभा का चुनाव समय पर होगा। अगले साल लोकसभा चुनाव के बाद तीन राज्यों- महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में चुनाव है। इन राज्यों के चुनाव भी तय समय पर ही होंगे।