भारतीय जनता पार्टी अपने मजबूत असर वाले राज्यों में बड़ी संख्या में सांसदों की टिकट काटेगी। पिछली बार भाजपा राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में सभी सीटों पर जीती थी। इस बार इन राज्यों में बड़ी संख्या में सांसदों की टिकट कटेगी। इसी तरह उत्तर प्रदेश में भाजपा के कई सांसदों की सीट खतरे में है। बताया जा रहा है कि पिछले करीब एक साल से हर तीन महीने पर सीटों का सर्वेक्षण हो रहा है और जमीनी फीडबैक पार्टी के आला नेताओं को दी जा रही है। सर्वे के जरिए सांसदों की परफॉरमेंस रिपोर्ट भी ली जा रही है और नए उम्मीदवार भी तलाशे जा रहे हैं। इसके अलावा जमीनी मुद्दों की पहचान भी की जा रही है।
बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सबसे ज्यादा भरोसे में है। उसके राष्ट्रीय और प्रादेशिक नेता दोनों मान रहे हैं कि इस बार सीटें बढ़ेंगी। पिछली बार भाजपा 62 सीटों पर जीती थी, जबकि 2014 में उसे 71 सीटें मिली थीं। इस बार भी भाजपा का लक्ष्य 70 सीटों तक जाने का है। पार्टी को हिंदुत्व की लहर का भरोसा है इसलिए एक दर्जन से ज्यादा सांसदों की टिकट कटने की संभावना है। हेमामालिनी ने कहा है कि वे मथुरा से ही लड़ना चाहेंगी लेकिन ऐसा लगता है कि इस बार उनको टिकट नहीं मिलेगी। इसी तरह पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह, पूर्व पुलिस अधिकारी सत्यपाल सिंह, कांग्रेस से आए जगदंबिका पाल व रीता बहुगुणा जोशी आदि की टिकट कट सकती है। इसी तरह जानकार सूत्रों के मुताबिक गुजरात के 26 में से 10 सांसदों की टिकट कट सकती है। मध्य प्रदेश और राजस्थान के सांसदों के बारे में फैसला विधानसभा चुनाव नतीजों के आधार पर होगा। कर्नाटक में थोक में टिकट कटने की संभावना थी लेकिन कांग्रेस की बड़ी जीत और पार्टी की अंदरूनी खींचतान की वजह से भाजपा दुविधा में है। हालांकि कई पुराने नेता एडजस्टमेंट की विधानसभा वाली पॉलिसी के खिलाफ हैं।