लोकसभा चुनाव अगले साल होने वाले हैं उससे पहले देश के स्तर पर तो गठबंधन बनाने की कोशिश हो ही रही है राज्यों में भी एक तरफ नए गठबंधन बन रहे हैं तो दूसरी ओर पुराने गठबंधन में टूट-फूट हो रही हैं। छोटी पार्टियां मोलभाव कर रही हैं। बिहार में इसी मोलभाव में एक पार्टी महागठबंधन से अलग हुई है। उत्तर प्रदेश में भी छोटी पार्टियों ने मोलभाव शुरू कर दिया है। विपक्षी गठबंधन की एक महत्वपूर्ण पार्टी राष्ट्रीय लोकदल है, जिसके नेता जयंत चौधरी हैं। उनकी सहयोगी समाजवादी पार्टी ने पिछले साल उनको राज्यसभा में भेजा। उनकी पार्टी के सिर्फ आठ विधायक हैं फिर भी सपा ने अपने कोटे की सीट देकर उनको राज्यसभा में भेजा। अब वे सपा के साथ अगले लोकसभा चुनाव के लिए मोलभाव कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि उन्होंने 12 सीटों की दावेदारी की है।
रालोद के नेताओं का कहना है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जयंत चौधरी का असर बढ़ा है इसलिए पार्टी 12 सीटों पर लड़ेगी। उसने 12 सीटों पर तैयारी भी शुरू कर दी है। इसी के साथ पार्टी यह दबाव भी बना रही है कि कांग्रेस को गठबंधन में शामिल करना चाहिए। ध्यान रहे पिछले लोकसभा चुनाव में जब समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने तालमेल करके चुनाव लड़ा था तब भी रालोद उस गठबंधन का हिस्सा थी और उसने तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था और एक भी नहीं जीत पाई थी। उस तीन की जगह पार्टी अब 12 सीट पर दावा कर रही है। पिछली बार से चार गुना ज्यादा सीट मांगने का कारण यह है कि प्रदेश में भाजपा ने छोटी पार्टियों की पूछ बढ़ाई है। वह हर पार्टी से संपर्क कर रही है और उसे एनडीए में लाने की कोशिश कर रही है। बताया जा रहा है कि रालोद से भी उसके नेताओं की बात हुई है। हालांकि जयंत चौधरी ने 17 और 18 जुलाई को होने वाली विपक्षी पार्टियों की बैठक में बेंगलुरू जाने की बात कही है लेकिन इससे यह गारंटी नहीं होती है कि वे विपक्ष के साथ ही रहेंगे। उनकी पार्टी लगातार दो चुनाव से एक भी लोकसभा सीट नहीं जीत पा रही है और उनको पता है कि भाजपा के साथ जाकर लड़ेंगे तो जितनी सीटें मिलेंगी उन सब पर जीत जाएंगे। इसलिए अगले कुछ दिन इंतजार करना होगा।