जिस तरह से पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर बिलकिस बानो के साथ बलात्कार करने वाले 11 दोषी रिहा हुए थे उसी तरह इस साल स्वतंत्रता दिवस के बाद उत्तर प्रदेश के अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी को रिहा कर दिया गया है। मधुमिता शुक्ला की हत्या के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी को उम्रकैद की सजा हुई थी। हालांकि बताया जा रहा है कि उम्रकैद की लगभग पूरी सजा उन्होंने जेल की बजाय गोरखपुर के एक अस्पताल में काटी। सरकार चाहे जिसकी रही हो लेकिन अमरमणि को कोई तकलीफ नहीं हुई। अब उनके बेटे और पूर्व विधायक अमनमणि त्रिपाठी ने कहा है कि राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनक अभिभावक और मार्गदर्शक हैं। उनके साथ राजनीतिक नहीं, बल्कि पारिवारिक संबंध है।
सोचें, योगी आदित्यनाथ का अपने परिवार के साथ कोई संबंध नहीं है क्योंकि वे संन्यास ले चुके हैं लेकिन अपनी पत्नी की हत्या करने के आरोप में जेल जा चुके और मुकदमे का सामना कर रहे अमनमणि का कहना है कि योगी के साथ पारिवारिक संबंध है! बहरहाल, अमरमणि त्रिपाठी अकेले नहीं हैं, जो महिलाओं के प्रति अपराध में जेल गए और उनके ऊपर सरकार की मेहरबानी हुई। बिलकिस बानो के दोषियों को भी गुजरात की भाजपा सरकार ने रिहा किया। पहलवानों के प्रति अपराध के आरोपी बृजभूषण शरण सिंह पर भी पार्टी ने कोई कार्रवाई नहीं की है। कई महिला पहलवानों की ओर से आरोप लगाने और सबूत देने के बावजूद ने गिरफ्तार नहीं हुए। राजस्थान के निहालचंद के ऊपर बलात्कार के आरोप लगे थे इसके बावजूद वे नरेंद्र मोदी की पहली सरकार में मंत्री बने थे। उनको 2017 में अदालत से राहत मिली लेकिन उससे पहले वे मंत्री बने रहे थे। अपनी शिष्या से बलात्कार के आरोपी पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद के केस भी राज्य की भाजपा सरकार ने वापस लेने का प्रयास किया था, लेकिन कामयाबी नहीं मिली।