इस साल से लेकर अगले साल के अंत तक 12 राज्यों के विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इनमें से एकमात्र राज्य महाराष्ट्र है, जहां समय से पहले चुनाव होने की संभावना है। इस साल तेलंगाना, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में चुनाव हैं। अगले साल लोकसभा के साथ आंध्र प्रदेश, ओडिशा, सिक्कम और अरुणाचल प्रदेश में विधानसभा के चुनाव हैं। उसके बाद महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में विधानसभा चुनाव होंगे। इन 12 राज्यों में महाराष्ट्र एकमात्र राज्य है, जहां भाजपा समय से पहले चुनाव के बारे में सोच सकती है। इसका कारण महाराष्ट्र का राजनीतिक समीकरण है और विपक्ष की तीन पार्टियों एनसीपी, कांग्रेस और शिव सेना के उद्धव ठाकरे गुट की तैयारी है।
महाराष्ट्र में भाजपा के सहयोग से एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने हैं। उनके नेतृत्व वाले गुट को चुनाव आयोग ने असली शिव सेना के रूप में मान्यता दी है। लेकिन सबको पता है कि वोट उनके साथ नहीं है। शिव सैनिक मोटे तौर पर उद्धव ठाकरे गुट वाली शिव सेना के साथ हैं। ऊपर से शिंदे गुट राज्य में मंत्रिमंडल विस्तार के लिए दबाव बना रहा है और केंद्र में भी अपने सांसदों को मंत्री बनाने की मांग कर रहा है। इस बीच महाराष्ट्र के अखबारों में एक सर्वेक्षण छपा, जिसमें शिंदे को फड़नवीस से ज्यादा लोकप्रिय बताया गया और कहा गया कि राज्य के ज्यादातर लोग शिंदे को सीएम देखना चाहते हैं। इससे भाजपा के कान खड़े हुए हैं। दूसरी ओर महाविकास अघाड़ी की पार्टियां लगातार रैली और तैयारी कर रही हैं लेकिन एनसीपी में अंदरूनी विवाद बढ़ा हुआ है, जिसका फायदा भाजपा उठाने की कोशिश कर सकती है। इस बीच एक घटनाक्रम यह है कि औरंगाबाद से लेकर कोल्हापुर तक पिछले तीन महीने में एक दर्जन दंगे हुए हैं। दंगों की वजह से कई इलाकों में ध्रुवीकरण हो रहा है, जिसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। तभी एक संभावना समय से पहले चुनाव की जताई जा रही है। हालांकि यह भी तभी होगा, जब भाजपा चुनावी फायदे को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त होगी।