कांग्रेस पार्टी भी अति करती है। अभी हरियाणा में चुनाव था तो किसी को वहां नहीं भेजा। सब कुछ दीपक बाबरिया के भरोसे छोड़े रखा। प्रदेश में भूपेंद्र सिंह हुड्डा और राष्ट्रीय महासचिव के नाते दीपक बाबरिया सब कुछ कर रहे थे। राहुल गांधी ने भी अपेक्षाकृत कम मेहनत की और प्रियंका गांधी वाड्रा को तो बिल्कुल आखिरी दो दिन में उतारा गया। लेकिन वहां हारने के बाद अब कांग्रेस ने महाराष्ट्र में अपने सारे दिग्गज नेताओं को भेज दिया है। हालांकि ये सारे नेता अलग अलग जगहों पर आजमाए जा चुके हैं और सबको पता है कि जिनको जहां भेजा गया है वहां होटल में बैठ कर नेताओं से मुलाकात करने के अलावा ये लोग कहीं जमीन पर नहीं उतरेंगे, फिर भी कांग्रेस ने इन सबको महाराष्ट्र भेजा है।
कांग्रेस ने महाराष्ट्र के सभी छह क्षेत्रों जैसे मराठवाड़ा, पश्चिमी महाराष्ट्र, उत्तरी महाराष्ट्र, कोंकण, विदर्भ और मुंबई के लिए अलग अलग पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं। तीन तो पूर्व मुख्यमंत्रियों को भेजा गया है। अशोक गहलोत, भूपेश बघेल और चरणजीत सिंह चन्नी को पर्यवेक्षक बनाया है। इनके अलावा कर्नाटक सरकार के मंत्री और बड़े दलित नेता जी परमेश्वरा, राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, छत्तीसगढ़ के पूर्व उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव, मध्य प्रदेश में कांग्रेस विधायक दल के नेता उमंग सिंघार, तेलंगाना के प्रदेश अध्यक्ष रहे उत्तम रेड्डी, कर्नाटक के बड़े नेता एमबी पाटिल, राज्यसभा सांसद सैयद नासिर हुसैन जैसे दिग्गज महाराष्ट्र भेजे गए हैं। भाजपा भी हर क्षेत्र में पर्यवेक्षक या प्रभारी भेजती है। लेकिन वह बड़े नेताओं को नहीं भेजती है। चुनाव पर्यवेक्षक जरूर बड़ा नेता होता है लेकिन उसके बाद अलग अलग क्षेत्रों में उन लोगों को भेजा जाता है, जो जमीन पर जाकर काम करें और लोगों के बीच रहें। कांग्रेस ने जितने लोगों को भेजा है इनमें से एकाध ही नेता जमीन पर जाएगा और लोगों के बीच रहेगा। बाकी लोग होटल के कमरे से या दिल्ली में बैठ कर प्रबंधन देखेंगे।