अजित पवार को लेकर पिछले कुछ दिन से कई संयोगों की चर्चा हो रही है, जिसमें एक संयोग यह है कि वे जिस मुख्यमंत्री की सरकार में उप मुख्यमंत्री बनते हैं वह समय से पहले हट जाता है या उसका कद कम हो जाता है। अब तक वे चार मुख्यमंत्रियों के साथ उप मुख्यमंत्री बने हैं और किसी ने कार्यकाल पूरा नहीं किया। उलटे सबका कद कम हुआ या वह किसी न किसी मुश्किल में फंसा। अशोक चव्हाण से लेकर पृथ्वीराज चव्हाण और देवेंद्र फड़नीस से लेकर उद्धव ठाकरे तक, सबके साथ ऐसा हुआ है। अब वे पांचवीं बार एकनाथ शिंदे की सरकार में उप मुख्यमंत्री बने हैं।
अजित पवार सबसे पहले अशोक चव्हाण की सरकार में उप मुख्यमंत्री बने थे। मुख्यमंत्री रहते अशोक चव्हाण के ऊपर आदर्श सोसायटी घोटाले का आरोप लगा और उनको मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा। उनकी जगह पृथ्वीराज चव्हाण मुख्यमंत्री बने, जिसमें फिर अजित पवार उप मुख्यमंत्री बने। पृथ्वीराज चव्हाण का एनसीपी के साथ तालमेल नहीं बैठा। फिर भी सरकार चलती रही और अंत में चव्हाण की कमान में ही कांग्रेस बुरी तरह से हार, जिसके बाद देवेंद्र फड़नवीस राज्य के मुख्यमंत्री बने।
इसके बाद अजित पवार 2019 के नवंबर में फड़नवीस की सरकार में उप मुख्यमंत्री बने। लेकिन इस बार फड़नवीस चार दिन से ज्यादा मुख्यमंत्री नहीं रह पाए। बाद में वे एकनाथ शिंदे की सरकार में उप मुख्यमंत्री बने। बहरहाल, फड़नवीस की जगह 2019 में जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने तो फिर अजित पवार उनकी सरकार में उप मुख्यमंत्री बन गए। ढाई साल के बाद उद्धव ठाकरे की न सिर्फ सरकार गिरी, बल्कि पार्टी टूट गई और ज्यादातर विधायक व सांसद एकनाथ शिंदे के साथ चले गए। अब शिंदे की सरकार में अजित पवार उप मुख्यमंत्री बने हैं और उनके बनने के एक हफ्ते के भीतर ही विधानसभा स्पीकर ने उनको अयोग्य ठहराने की मांग वाली उद्धव ठाकरे गुट की याचिका पर सुनवाई शुरू कर दी है। यह भी कहा जा रहा है कि उनके ऊपर इस्तीफा देने का दबाव है। तभी यह कहा जा रहा है कि अजित पवार का पांचवां शिकार एकनाथ शिंदे हो सकते हैं।